काठमांडू। राजधानी काठमांडू सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में नेपाल के नए मैप के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं। कोरोना संक्रमण से निपटने में नाकामी, गरीबों की मदद करने में सरकार की असफलता और भ्रष्टाचार को लेकर नेपाल की जनता लॉकडाउन तोड़कर भी सरकार के खिलाफ सड़कों पर निकल रही है।
नेपाल की ओर से जारी किए गए नए नक्शे को लेकर विवाद थमता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। एक तरफ तो नए नक्शे को लेकर भारत और नेपाल के संबंधों में तल्खी बनी हुई है, दूसरी ओर अब नेपाल में भी लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। यह विरोध प्रदर्शन ऐसे समय में किया जा रहा है कि जब कोरोना का संकट पूरे विश्व में जारी है।
शनिवार (13 जून, 2020) को नेपाल की राजधानी काठमांडू में बड़ी संख्या में लोग नक्शे के खिलाफ जगह-जगह सड़कों पर उतर आए और सुबह से ही सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान पुलिस ने कार्रवाई करते हुए कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
वहीं आज नेपाली संसद में नए नक्शे के प्रस्ताव पर वोटिंग हुई। इससे पहले भी शुक्रवार (12 जून, 2020) को भी कई प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे थे। इसके बाद नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने मीडिया के माध्यम से लोगों से प्रदर्शन रोकने की अपील की थी। साथ ही निवेदन के साथ विदेश मंत्री ने लोगों से कहा था कि वो किसी भी प्रकार के सरकार विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा ना लें। इससे गलत संदेश जाएगा।
प्रदीप ग्यावली ने कहा कि हम अपनी जमीन को वापस नक्शे में शामिल कर एक मिसाल कायम करने जा रहे हैं। सभी राजनीतिक दलों ने भी इसका समर्थन कर एकजुटता दिखाई है। इसलिए आम लोगों को भी सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि सरकार का साथ देते हुए नक्शा पास होने की खुशी में प्रदर्शन करना चाहिए।
दरअसल, नेपाल ने 18 मई को नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। इसमें कालापानी, लिपुलेख और लिमिपियाधुरा को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाया था। नेपाल ने अपने नक़्शे में कुल 335 वर्ग किलोमीटर के इलाके को शामिल किया था। इसके बाद 22 मई को संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था।
इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने नेपाल को भारत की संप्रभुता का सम्मान करने की नसीहत दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था, “हम नेपाल सरकार से अपील करते हैं कि वो ऐसे बनावटी कार्टोग्राफिक प्रकाशित करने से बचें। साथ ही भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें।”
ये इलाके भारत की सीमा में आते हैं। वहीं सोशल मीडिया पर लोग यह आशंका भी व्यक्त करते नजर आ रहे हैं कि हो सकता है नेपाल यह सब चीन के इशारे पर कर रहा हो।
गौरतलब है कि 8 मई को भारत ने उत्तराखंड राज्य के लिपुलेख दर्रे से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया था, जिसे लेकर नेपाल ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद ही नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था।