नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश 60 से ज्यादा दिनों तक लॉकडाउन रहा. भारत अब अनलॉक हो रहा है, लेकिन कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इस बीच, देश में फिर से लॉकडाउन लागू करने पर चर्चा होने लगी है. लेकिन क्या कोरोना के मामले पर लगाम लगाने के लिए लॉकडाउन की जरूरत है. कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित दिल्ली, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की सरकारों ने साफ कर दिया है कि वो लॉकडाउन नहीं लगा रहे है. वहीं, एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि लॉकडाउन कोरोना वायरस को रोकने का समाधान नहीं है.
इंस्टीट्यूट ऑफ रोबोटिक सर्जरी के डायरेक्टर डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि जैसे-जैसे कोरोना के मामले बढ़ेंगे उसके साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों की जररूत भी ज्यादा पढ़ेगी, जो हमारे पास पर्याप्त संख्या में नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि जितने स्वास्थ्यकर्मी होंगे वो और ज्यादा काम करेंगे और उन पर दबाव भी बढ़ेगा. हमारे यहां पर मरीजों की संख्या ज्यादा है जबकि बेड और स्वास्थ्यकर्मी कम हैं. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में चीजें और खराब होंगी.
दिल्ली-तमिलनाडु में कोरोना संक्रमण तेज
डॉ कुमार ने कहा कि हम उस स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं जहां पर ज्यादा से ज्यादा मरीज होंगे और स्वास्थयकर्मी कम होंगे. जिसके कारण दबाव बढ़ेगा और मृत्यु दर भी बढ़ेगी. मैं सेल्फ इंपोज्ड लॉकडाउन के पक्ष में रहूंगा. जब तक कोई बहुत ज्यादा जरूरत नहीं हो तब तक घर से बाहर नहीं निकलें.
उन्होंने कहा कि लोगों का आपस में संपर्क बढ़ गया है, जिसके कारण देश में केस बढ़ रहे हैं. रामलीला मैदान और स्टेडियम में बेड रख सकते हैं, लेकिन हॉस्पिटल का बेड उसे नहीं बना सकते. हॉस्पिटल बेड के लिए सिर्फ बेड की जरूरत नहीं होती, मेडिकल स्टाफ की जरूरत भी पड़ती है.
‘लॉकडाउन कोई समाधान नहीं’
वहीं, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ अशोक सेठी ने कहा कि हमें लॉकडाउन का लॉजिक समझना होगा. हमने सख्त लॉकडाउन लागू किया था, जो कोरोना का समाधान नहीं है. लॉकडाउन के कारण कई लोगों का रोजगार छीन गया. हम वो मौतें भी भूल गए हैं जो दूसरे किसी कारण से हो रही हैं.
उन्होंने कहा कि कोरोना से अभी हर रोज 400 मौतें हो रही है, लेकिन कुपोषण के कारण 5 साल से कम उम्र के 2 हजार बच्चों की हर रोज मौत हो रही है. ये अब डबल होकर 5 हजार हो गई है. हर रोज करीब 6 हजार हार्ट के मरीज मरते हैं.
उन्होंने कहा कि अगर लॉकडाउन रहा तो देश और शहर बच नहीं पाएंगे. हमें इस वायरस के साथ रहना है. हमें इसका स्थानीय स्तर पर समाधान निकालना होगा.
अमेरिका की प्रोफेसर ब्रह्ममार मुखर्जी ने कहा कि देश में 25 मार्च को लॉकडाउन लगा था तब 536 केस थे और 11 लोगों की मौत हुई थी. आज की संख्या हमारे सामने है. हमें देखना होगा कि हमने लॉकडाउन से क्या हासिल किया. क्या लॉकडाउन सफल था.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण वायरस से छुटकारा नहीं मिलेगा. वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए एक रणनीति होनी चाहिए. लेकिन लॉकडाउन से वायरस जरूर धीमा हुआ है. लॉकडाउन के कारण भारी नुकसान भी हुआ. पूरी बातचीत के दौरान प्रोफेसर ब्रह्ममार मुखर्जी ने भी लॉकडाउन का समर्थन नहीं किया.