लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस से अलग शिक्षक भर्ती में धांधली से लेकर फर्जी शिक्षिका के मामले ने तूल पकड़ा हुआ है । मामले में जमकर सरकार की फजीहत भी हो रही है । लेकिन प्रदेश में हो रहे इस सहायक शिक्षक फर्जीवाड़े को आखिर भंडाफोड़ कैसे हुआ, चलिए आपको बताते हैं । मामले में जब शिकायत ऊपर तक पहुंची तो प्रयागराज के तीन आईपीएस सत्यार्थ अनिरूद्ध पंकज,अशोक वेंकटेश और अनिल यादव की तिकड़ी ने इस पर काम किया और इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ ।
तीनों पुलिस अफसरों ने सर्विलांस के साथ अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया । मीडिया में आई जानकारी के अनुसार सीबीआई की स्टाइल में काम किया गया, आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई । डॉक्टर और लेखपाल भी पुलिस हिरासत में लिए गए । कार्रवाई इतनी तेजी से हुई कि किसी को बिना शक हुए सारा फर्जीवाड़ा सामने आ गया । अब मामले की जांच एसटीएफ करेगी । एसटीएफ के सामने बड़ी चुनौती होगी, चूंकि अभी इस गैंग में शामिल स्कूल प्रबंधक, सॉल्वर, दलाल और आरोपी अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी बाकी है।
69000 सहायक शिक्षक भर्ती में अभ्यर्थी, डॉ. कृष्ण लाल पटेल के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने का आरोप तो लगा रहे थे, लेकिन अब तहरीर लेकर मुकदमा दर्ज कराने को कोई तैयार नहीं था । जिन अभ्यर्थियों से गैंग के सदस्यों ने लाखों रुपए वसूले वह भी डर के मारे सामने नहीं आ रहे थे । मामले में 4 जून को प्रतापगढ़ के एक अभ्यर्थी राहुल सिंह ने एसएसपी से संपर्क साधा, जिसके बाद ही कार्रवाई आगे बढ़ी । शुरुआत में ही आईपीएस अफसरों की तिकड़ी ने एक कार से जा रहे 6 संदिग्धों को 7.5 लाख रुपए के साथ हिरासत में ले लिया। इसके बाद गैंग में शामिल डॉ. कृष्ण लाल पटेल, स्कूल संचालक ललित त्रिपाठी और लेखपाल संतोष बिंदु को भी कस्टडी में लेकर पूछताछ की गई । जिसके बाद 22 लाख से अधिक का कैश भी बरामद हुआ ।
वहीं कासगंज में अनामिका शुक्ला शिक्षिका घोटाले में मास्टरमाइंड का शिक्षक भाई गिरफ्तार हो गया है । पुलिस ने उसे मैनपुरी से गिरफ्तार किया है । पुलिस ने बताया कि मास्टरमाइंड जसवंत सिंह खुद बीए फेल है । उसने किसी वैभव कुमार के नाम से फर्जी दस्तावेज लगा कर ये नौकरी हासिल की थी । पुलिस ने बताया कि अभी उसका भाई राज उर्फ नीतू उर्फ पुष्पेंद्र जो कि असली मास्टरमाइंड है फरार है । अब तक पूरे प्रदेश में ये 25 से अधिक लड़कियों को नौकरी पर लगवा चुका है ।