आजम के चहेते कानपुर के डीपीओ पर योगी सरकार के अफसर भी मेहरबान
निदेशालय के निदेशक बदल गये, लखनऊ की डीपीओ हट गईं लेकिन आरोपी कानपुर के डीपीओ जफर खान का बाल बांका भी न हुआ
छेडछाड और शोषण की शिकार कानपुर की पीसीएस अफसर को नहीं मिला न्याय, 20 दिन बाद भी नहीं लिखी गई एफआईआर
अलीगढ में आंगनबाडी कार्यकत्री के शोषण के चलते डीपीओ जफर खान का तबादला कानपुर हुआ था उसकी जांच अभी भी चल रही है
कानपुर/लखनऊ। कानपुर में डीपीओ द्वारा महिला पीसीएस अफसर के साथ हुई छेड़छाड़ में कानपुर प्रशासन तो दूर पूरी की पूरी सरकार भी कुछ नहीं कर पा रही है। घटना के 20 दिन बाद भी एफआईआर तक नहीं लिखी गई और न ही आरोपित डीपीओ जफर खान को छुटटी पर भेजा गया। आजम खान के चहेते कानपुर के डीपीओ जफर खान का प्रभाव इतना है कि निदेशालय से निदेशक हट गये लखनऊ की डीपीओ हट गईं लेकिन जांच की आंच आरोपी तक पहुंची ही नहीं। डीपीओ के खिलाफ कई बार विभागीय जांच के आदेश हुए पर उसे हर बार बचाया गया। आजम खान को खुश रखने वाले इस अफसर ने योगी सरकार में भी कुछ आजम खोज लिए हैं जिससे इस अफसर को कोई हाथ तक नहीं लगा पा रहा। पीडित ने अपनी शिकायत सीएम पोर्टल तक पर दर्ज करवाई और विभागीय मंत्री स्वाति सिंह को भी अवगत कराया लेकिन 20 दिन बाद भी आरोपी व कानपुर का डीपीओ न सिर्फ अपने पद पर तैनात है बल्कि जांच को बुरी तरह प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। आपको बताते चलें कि अलीगढ में आंगनबाडी कार्यकत्री के शोषण के चलते डीपीओ जफर खान का तबादला कानपुर हुआ था उसकी जांच अभी भी चल रही है।
आजम के चहेते डीपीओ जफर खान को बचाने में जुटा कानपुर प्रशासन
जफर खान के प्रभाव में डीएम द्वारा गठित कमेटियां अपनी जांच करती रहीं। विशाखा कमेटी की तो इस प्रकरण में बुरी तरह धज्जियां उडाई गईं। विशाखा कमेटी की जांच के पहले लखनऊ से टीम भेजी गई जिसने पीडित के लिखित बयान नहीं लिए लखनऊ बुलाकर महिला के बयान दर्ज करवाये गये। फिर कानपुर में बनी कमेटी कई दिनों तक बयान लेती रही और जांच करने की बात कह कर मामले पर लीपापोती की जा रही है। डीपीओ द्वारा बीते तीन साल से प्रताडित इस महिला अफसर की शिकायत पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। जिस प्रदेश की राज्यपाल महिला हों योगी सरकार में बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री महिला हों और पीडित महिला के क्षेत्र की विधायक महिला हो और योगी सरकार में मंत्री हो उसके बावजूद एक महिला अफसर की कोई नहीं सुन रहा। विभागीय म़ंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन तो दिया लेकिन 20 दिन बाद भी सिर्फ जांच और जांच का सामना कर रही और बयान पर बयान दर्ज कराने वाली पीडित महिला अफसर के आंसू पोंछने वाला कोई नहीं है।
निदेशालय के निदेशक हटे लखनऊ की डीपीओ हटीं लेकिन आजम का चहेता डीपीओ कर रहा मौज
कानपुर में महिला पीसीएस अफसर से छेड़छाड़ प्रकरण में पीड़ित के निदेशालय में बीते दिनो बयान भी दर्ज हो गये। पीडित महिला अफसर को उम्मीद बंधी कि अब न्याय होगा लेकिन हुआ कुछ नहीं। निदेशालय के निदेशक का शत्रुघ्न सिंह का तबादला हो गया और लखनऊ की डीपीओ हट गई लेकिन आजम खान के चहेते कानपुर के डीपीओ और महिला पीसीएस अफसर से छेडछाड के आरोपी जफर खान का बाल भी बांका तक न हुआ। वह घटना के 20 दिन बाद भी न सिर्फ अपने पद पर कायम है बल्कि आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को दबाव में लेकर पीडित महिला के खिलाफ विभागीय जांच की साजिश रच रहा है।
अनामिका की दास्तान सुनकर आपको भी आयेगा गुस्सा
मैं डीपीओ जफर खान की इन हरकतो से डर गई थी और अपने बचाव में विकास भवन जाना छोड़ दिया था। कभी जाना होता था तो किसी न किसी को साथ ले कर जाती थी। इसके बाद इन्होंने लिखा पढी में परेशान करना शुरू कर दिया। मैं पांच बजे कार्यालय से जैसे घर पहुंचती वैसे ही 5:20 या 5:30 पर इनका यानी डीपीओ जफर खान का फोन आ जाता कि जिलाधिकारी की बैठक है तुरंत वहां पहुंचो। जब मैं वहां पहुंचती तो पता चलता कि वहां मेरी आवश्यकता ही नहीं थी। इन्होंने मुझे सिर्फ प्रताडि़त करने के लिए बुलाया था। कई बार सुबह 8 बजे या कहूं 8:30 पर इनका यानी डीपीओ श्री जफर खान का फोन आ जाता कि तुरंत फील्ड यानी केन्द्र पहुंचो। तुम्हारे केन्द्र को डीएम व सीडीओ सर चेक करेंगे। लेकिन ऐसा वास्तव में होता नहीं था। डीपीओ महोदय इसी तरह परेशान कर के अपनी बदनीयती को न मानने का अंजाम दिखाते थे।
जब डीपीओ जफर खान सर को सफलता नहीं मिली तो उन्होंने मेरे खिलाफ मुख्य सेविकाओं को संरक्षण देना प्रारंभ कर दिया और उनसे मेरे कार्यालय के काम में बाधा डालने लगे इससे मेरी कार्यालय सूचना बाधित होने लगी। मैं उसके बाद भी सूचना बना कर प्रेषित करती तो पत्रवाहक व लिपिक के द्वारा वहां लेने से मना करवा दिया जाता था। आप को बताते चलें कि श्री जफर खान महोदय ने अपनी टीम बना रखी है जिसके सामने स्वतंत्र हो कर कुछ भी बोल देते हैं चाहे वो कितनी भी अश्लील भाषा हो या अश्लील हरकत। उनकी टीम में चपरासी व क्लर्क से ले कर संविदा पर तैनात सीपीडीओ भी शामिल है। मेरा तमाशा बनाकर इन्होंने कई बार सबके सामने रुलाया भी है। डीपीओ द्वारा मुझे परेशान करने के कई तरीके हैं जिसमें से एक आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का मानदेय है जो जिला कार्यक्रम अधिकारी की लापरवाही और जानबूझ कर न बनाना है । उसके इस कार्य में मुख्य सेविका ने भी साथ दिया। इस मानदेय प्रकरण के सहारे नाटकीय ढंग से आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को मेरे खिलाफ बरगला कर उनसे मेरे खिलाफ शिकायत करवाई गई।