नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना वायरस के मरीजों और इससे हुई मौतों पर सियासत पहले से ही चल रही है. अब इस प्रकरण में एक नया मामला जुड़ने जा रहा है जो अस्पतालों में मरीजों के इलाज से जुड़ा है. दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार रविवार को एक अहम फैसला लेने जा रही है कि क्या स्थानीय अस्पतालों में दिल्ली के लोगों का ही इलाज होगा या बाहरी लोगों को भी यह सुविधा मिल सकती है.
बता दें, दिल्ली में चिकित्सा व्यवस्था को लेकर शनिवार को डॉ. महेश वर्मा कमेटी ने दिल्ली सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली का हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर केवल दिल्ली के लोगों के लिए इस्तेमाल हो. अगर बाहर वालों के लिए दिल्ली का हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर खोला गया तो 3 दिन के अंदर सारे बेड भर जाएंगे. डॉ. महेश वर्मा कमेटी की इस रिपोर्ट पर रविवार 11.30 बजे दिल्ली कैबिनेट की बैठक होने वाली है. इस बैठक के बाद तय होगा कि दिल्ली के हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर दूसरे राज्यों के लिए खोले जाएं या नहीं.
कमेटी की सिफारिश
दिल्ली में कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच दिल्ली सरकार ने पांच डॉक्टर की एक कमेटी बनाई थी. इस कमेटी का गठन 3 जून को किया गया था. दिल्ली में आईपी यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. महेश वर्मा को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया था. कमेटी को निर्देश दिया गया था कि दिल्ली में अस्पतालों की समग्र तैयारी और क्या दिल्ली के अस्पताल दिल्ली और दिल्ली के बाहर के मरीजों का इलाज कर पाएंगे, इस पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए. दिल्ली में स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ोतरी और क्या अन्य क्षेत्र जहां दिल्ली में कोविड-19 के बेहतर प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना आवश्यक है, जैसे सवालों के जवाब के लिए कमेटी का गठन किया गया. अब इस कमेटी ने बोल दिया है कि दिल्ली के लोगों को ही यहां के अस्पतालों की सुविधा मिलनी चाहिए.
सरकार अगर दिल्ली से बाहर के लोगों के लिए इलाज की सुविधा बंद करती है, तो क्या इसके पीछे अस्पतालों में कम पड़ते बेड भी एक वजह हैं? ऐसा माना जा सकता है क्योंकि दिल्ली में जिस रफ्तार से कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है, अगर उन मरीजों को फौरन इलाज न मिले तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है. इस बारे में शनिवार को एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई.
दिल्ली सरकार का कहना है कि मरीजों के लिए अस्पतालों में पर्याप्त बेड हैं. लोगों की सुविधा के लिए सरकार ने ऐप को भी लॉन्च किया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कहती है. अस्पतालों के गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण मरीजों की मौत हो रही है, जो केजरीवाल सरकार के दावों की पोल खोल रही है. अस्पताल में बेड नहीं मिलने से एक और मरीज की मौत होने का मामला सामने आया है.
मृतक के परिजन अभिषेक जैन ने इंडिया टुडे टीवी के कार्यक्रम न्यूजट्रैक में अपने दर्द को बयां किया. उन्होंने कहा कि पिछले 2-3 दिनों से मेरे मरीज को बुखार था. बुधवार रात को जितने भी इमरजेंसी नंबर हैं हमने उसपर संपर्क किया. हमने कई अस्पतालों से भी संपर्क किया, लेकिन सबसे पहले उन्होंने ये पूछा कि आपका मरीज कोरोना पॉजिटिव होना चाहिए.
अस्पताल के खिलाफ एफआईआर
दिल्ली में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच सरकार ने सर गंगाराम अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. दिल्ली सरकार ने महामारी रोग अधिनियम के उल्लंघन के लिए सर गंगाराम अस्पताल पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया. गंगाराम अस्पताल पर कोरोना वायरस की टेस्टिंग नियमों के उल्लंघन के चलते एफआईआर दर्ज करवाई गई है. आईपीसी की धारा 188 के तहत गंगाराम अस्पताल पर एफआईआर दर्ज की गई है. एफआईआर में कहा गया है कि अस्पतालों को स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन करना और केवल आरटी पीसीआर ऐप के माध्यम से सैंपल एकत्र करना अनिवार्य था. सर गंगाराम ने सैंपल एकत्र करने के लिए आरटी पीसीआर का उपयोग नहीं किया.
सरकार में चिंता
कोरोना के बढ़ते मामलों पर सरकार में चिंता है. दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि राजधानी से जिस तरह से कोरोना के मामले आ रहे हैं वो चिंताजनक है. हमें सतर्क रहने की जरूरत है. दिल्ली सरकार ने 8500 बेड का इंतजाम किया है. इनमें से 45 फीसदी बेड पर मरीज हैं और आगे बेड बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा, लॉकडाउन से पता चला कि कोरोना इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है. लंबे समय तक रुकेगा. अब इससे बचने के बारे में सीखना होगा. मास्क पहनना, हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है. इससे ही वायरस को बढ़ने से रोक सकते हैं.
मुख्यमंत्री की चेतावनी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सभी अस्पतालों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर कोई भी शख्स इलाज के लिए आता है तो उसका इलाज करना होगा. किसी व्यक्ति को अस्पताल में इलाज करवाने में दिक्कत ना हो यह सुनिश्चित करवाने के लिए अब से सभी कोविड अस्पतालों में दिल्ली सरकार एक प्रोफेशनल नियुक्त करेगी. अस्पताल के अंदर मौजूद प्रोफेशनल जानकारी देगा कि अस्पताल में बेड मौजूद है या नहीं. जो बाद में ऐप पर भी डाला जाएगा. जिससे लोगों तक अस्पताल के अंदर बेड की सही जानकारी पहुंच सके. दिल्ली सरकार की ओर से नियुक्त प्रोफेशनल वहां आने वाले मरीजों की दाखिला प्रक्रिया की भी निगरानी करेंगे. वो देखेंगे कि निजी अस्पताल की तरफ से लोगों को भर्ती करने में कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है.
पिछले साल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एक बयान पर काफी हंगामा हुआ था. यह बयान भी बाहरी लोगों के दिल्ली में इलाज से जुड़ा था. अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘बिहार का एक आदमी 500 रुपये के टिकट से ट्रेन में बैठकर दिल्ली में आता है और 5 लाख का इलाज फ्री में करवा कर चला जाता है. इससे खुशी होती है कि अपने देश के लोग हैं, सबका इलाज होना चाहिए. लेकिन दिल्ली की अपनी क्षमता है, पूरे देश के लोगों का कैसे इलाज करेगी, इसलिए जरूरत है कि सारे देश में स्वास्थ्य सुविधाएं सुधरे.’ इसके बाद जब ‘आजतक’ ने अरविंद केजरीवाल से इलाज के लिए बिहार से दिल्ली आ रहे लोगों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘अलग-अलग राज्यों से लोग दिल्ली में इलाज कराने आ रहे हैं. दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी पिछले 4 साल में 3 करोड़ से बढ़कर 6 करोड़ सालाना हो गई है. देशभर के लोगों को दिल्ली के अस्पतालों में भरोसा है.’