उत्तर 24 परगना। मछली के अंडों की तस्कीर का एक चौंकाने वाला तरीका सामने आया है. घटना भारत-बांग्लादेश सीमा के पास बंगाल के उत्तरी 24 परगना जिले की है. सीमा के पार मछली के अंडों की तस्करी के लिए तस्करों ने एक नया तरीका आजमाया है.
दरअसल, शुक्रवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सतर्क जवानों को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में गोलपारा बीओपी के पास नदी में कुछ संदिग्ध हलचल दिखाई दी. जवानों ने यहां सदरपारा नाला नदी में मवेशियों के दो शवों को तैरते हुए देखा.
निरीक्षण करने पर जवानों ने देखा कि मवेशियों के दो शवों में कई पॉलिथीन की थैलियां थीं और उनमें मछली के अंडे थे.
आगे की जांच में पता चला कि प्रत्येक मवेशी में मछली के अंडों वाली छह थैलियां भरी हुई थीं. लोग संदेह की नजर से उन्हें न देखें इसलिए उनमें टांके भी लगाए गए थे.
बीएसएफ दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”बीओपी गोलपारा के बीएसएफ जवानों ने सरदारपारा नाला के पास मछली के अंडों से भरे 12 पॉलीथिन बैग जब्त किए हैं. इन मछलियों के अंडे से भरे थैलों को दो मृत मवेशियों के पेट के अंदर डालकर सिला गया था. शुरुआत में लगा कि मृत मवेशी ज्वार के प्रवाह के साथ तैर रहे हैं, लेकिन जब उन्हें जांचा गया तो प्रतिबंधित सामान बरामद किया गया.”
सूत्रों का कहना है कि तस्कर इस तरह के एक तरीके का इस्तेमाल करके नदी में शव को गिराते हैं और यह दूसरी तरफ इकट्ठा होने से पहले ही ज्वार की लहर के साथ बांग्लादेश की सीमा तक तैरकर चला जाता है.
बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”मछली के अंडों की आमतौर पर बांग्लादेश में खासी मांग होती है, जिसके साथ वे कई व्यंजन तैयार करते हैं. सीमा पर इसकी तस्करी प्रतिबंधित है. हालांकि भारतीय सीमा पर इस जब्त किए गए सामान का औसत मूल्य 48,000 रुपये है, लेकिन जब यह बांग्लादेशी क्षेत्र में पहुंचता है तो इसे वास्तविक लागत से तीन गुना अधिक कीमत में बेचा जाता है.