किसी को सम्मानित करना अतिथियों के लिए कोई अवसर होता होगा, परन्तु सराहनीय होती है सम्मानित करने वाले व्यक्ति एवं संस्थान की भावना जो किसी में दोष देखने के बज़ाय, दूसरों में केवल गुण देखता है। उन्हें अपने साथ देखना चाहता है, इससे गौरव हासिल कर स्वयं को सुखी बनाता है। उस व्यक्तित्व की गुण-विशिष्टता उसकी विनम्रता और उदारता के रूप में प्रकट होती है तथा उस समय और महत्त्वपूर्ण हो जाती है जब सामने विकट चुनौती व विपरीत परिस्थिति मुँह बाये खड़ी हो।
लोकप्रिय जनसञ्चार प्रतिष्ठान-मीडिया पोर्टल ‘आईवॉच’ और ‘लाइव इण्डिया 18’ ने इस वर्ष उत्तर प्रदेश के डेढ़ दर्ज़न वरिष्ठ पत्रकारों को सम्मानित करने का निर्णय लिया था। उनमें एक नाम अपना भी रहा। इस निमित्त शानदार समारोह 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर लखनऊ में बड़े पैमाने पर होने की रूपरेखा बनी थी। विश्व-व्यापी ‘कोरोना संकट’ के कारण कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति नहीं मिली। बावज़ूद इसके, ‘आईवॉच’ और ‘लाइव इण्डिया 18’ के सम्पादक श्री श्यामल त्रिपाठी जी ने सम्मानित किये जाने वालों के घर-घर पहुँच कर उन्हें सम्मान प्रदान किये। इसी क्रम में श्री त्रिपाठी जी मेरे आवास पर पधारे और मुझे प्रशस्ति-पत्र आदि भेंट किया।
बधाई के परम् पात्र तो श्री श्यामल त्रिपाठी जी और उनका मीडिया समूह है।
सम्मान के इस अनूठे क्रम में श्री श्यामल त्रिपाठी ने वरिष्ठतम पत्रकार सर्वश्री कोतमाराजू विक्रम राव, प्रभात रञ्जन दीन, हेमन्त तिवारी, अखिलेश तिवारी, श्रीधर अग्निहोत्री, राघवेन्द्र त्रिपाठी, राजेश श्रीवास्तव, दयानन्द पाण्डेय, अभिषेक मिश्र, डॉ. शैलेश पाण्डेय, विक्रम सिह राठौर, कमलेश श्रीवास्तव, शबाहत हुसैन विजेता, डॉ. मोहम्मद कामरान, शेखर पण्डित, मनोज दुबे और पवन विश्वकर्मा को भी उनके घर ख़ुद पहुँचकर सम्मानित किया।
इस अनोखे सम्मान समारोह में सम्मान होते हुए देखने वाले नहीं थे। तालियों की गड़गड़ाहट नहीं थी। कोई मुख्य अतिथि और अध्यक्षता करने वाला नहीं था। फूल मालाएं नहीं थीं, लेकिन यह भावना साथ थी कि निष्पक्षता के साथ कलम चलाने पर सम्मान खुद चलकर आता है और दरवाज़ा खटखटाता है।