भारत इस वक्त कोरोना वायरस जैसी खतरनाक महामारी से जूझ रहा है, दिन प्रतिदिन संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ती ही चली जा रही है। इस कठिन समय में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो सरकार को नीचा दिखाने के लिए इस महामारी का फायदा उठाकर सरकार के खिलाफ झूठा प्रचार प्रसार कर रहे है।
हाल ही में, पत्रकार राणा अयूब ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाला, जिसमें एक महिला की मृत्यु पर जवाबदेह होने के लिए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने दावा किया कि उस महिला की मृत्यु इस कारण हुई क्योंकि सरकार ने उसे ट्रेन में खाना और पानी उपलब्ध नहीं कराया था। साथ ही ट्रेन अपनी समय सीमा से काफ़ी देरी से चल रही थी।
“ट्रिगर अलर्ट। महिला ने गुजरात से ट्रेन ली थी। फिर वो ट्रेन लेट हुई, ट्रेन में किसी प्रकार का खाना नहीं दिया गया। मुजफ्फरपुर स्टेशन पर, वह भूख से मर गई। जहाँ उसका बच्चा अपनी मृत माँ को जगाने की कोशिश कर रहा था। हम रात को कैसे सो पाएँगे? यह कोई मौत नहीं है, यह एक कोल्ड ब्लडेड मर्डर है।” अपनी माँ को जगाने की कोशिश कर रहे एक बच्चे की वीडियो को राणा अयूब ने अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर यही लिख कर पोस्ट किया।
अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में, अयूब ने दावा किया कि महिला मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर “बेहोश हो कर गिर गई” और भुखमरी के कारण मर गई।
हालाँकि, संबंधित महिला के निधन के बारे में सच्चाई अयूब की कल्पना के बिल्कुल विपरीत है। रेल मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, महिला, जो अपनी बहन, पति और दो बच्चों के साथ यात्रा कर रही थी, एक लंबी बीमारी से पीड़ित थी और यात्रा के दौरान ट्रेन में ही उसकी मौत हो गई थी।
रेलवे के सूत्रों ने आगे बताया कि रेलवे सुरक्षा बल के प्रभारी निरीक्षक और डिप्टी एसपी मुख्यालय जीआरपी मुजफ्फरपुर, श्री रमाकांत उपाध्याय को ट्रेन में महिला की मृत्यु के बारे में सूचित किया गया था। स्टेशन प्रभारी से अनुमति मिलने के बाद, मृतक के शव को मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया गया था और बाद में मुजफ्फरपुर रेलवे डिवीजन के डॉक्टर द्वारा उसकी जाँच की गई थी।
महिला पहले से ही कई बीमारियों से पीड़ित थी। लेकिन अयूब ने न केवल झूठा दावा किया कि महिला की भूख से मृत्यु हो गई, बल्कि उसने एक काल्पनिक कहानी भी बुन ली कि महिला मरने से पहले मुजफ्फरपुर स्टेशन पर गिरी थी।
राणा ने दावा किया कि महिला की भूख से मृत्यु हो गई थी और उसे पानी भी नहीं दिया गया था। जैसा कि भरतीय रेलवे ने कई बार स्पष्ट किया है कि श्रामिक ट्रेनों में यात्रियों को भोजन, पानी और उचित चिकित्सा सहायता दी जाती है।
कई स्पष्टीकरणों के बावजूद, मीडिया का एक निश्चित वर्ग यह साबित करने के लिए ओवरटाइम काम कर रहा है कि सरकार इस महामारी में लापरवाही कर रही है।
भारतीय रेलवे ने भ्रामक रिपोर्टों पर कहा है कि श्रमिक एक्सप्रेस में बीमारियों के कारण लोगों की मौतें हुई हैं। बुधवार, 27 मई, 2020 को, जागरण ने यह दावा करते हुए समाचार प्रकाशित किया कि लापरवाही के कारण श्रमिक एक्सप्रेस में चार लोगों की मौत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रमिक एक्सप्रेस पर सवार प्रवासी कामगार भोजन और पानी से वंचित रहे। जबकि सच्चाई कुछ और ही थी।
भारतीय रेलवे ने कहा कि आपात स्थिति के मामले में प्रत्येक यात्री को चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, सभी यात्रियों के लिए श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों में भोजन और पानी उपलब्ध कराया जाता है।
मंगलवार (26मई,2020) को, भारतीय रेलवे ने दैनिक भास्कर की रिपोर्ट को भी फर्जी बताया था, जिसमें दावा किया गया था कि श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों में भोजन और पानी की कमी से प्रवासी श्रमिकों की मौत हो रही है। भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे द्वारा की जा रही लापरवाही के कारण लिए यात्रियों की मौत का आरोप लगाया था।