आतंकियों के लिए ‘इंडियन इंजीनियर’, ‘टीचर’ जैसे शब्द इस्तेमाल करने के मामले में एनडीटीवी (NDTV) का रिकॉर्ड शानदार रहा है। इस बार उसने आतंकी के लिए ‘ड्राइवर’ शब्द का इस्तेमाल कर अपना ट्रैक रिकॉर्ड दुरुस्त रखा है। जिस आतंकी के लिए उसने ड्राइवर शब्द का इस्तेमाल किया है, वह करीब 40 किलो विस्फोटक लदे कार के साथ पुलवामा में हमले की फिराक में था।
पुलवामा में विस्फोटक से लदी कार के बारे में समय रहते सूचना मिलने से बड़ा हमला टल गया। जानकारी के मुताबिक, जब कार पुलवामा पहुँची तो उसे रोकने के लिए पुलिस व सुरक्षाबलों ने कुछ राउंड गोलियाँ चलाईं। इसके बाद आतंकवादी कार छोड़कर भाग गया।
इसी खबर को एनडीटीवी ने भी कवर किया है। आईडी लेकर कार में आने वाले आतंकवादी के लिए उसने ‘ड्राइवर’ शब्द का प्रयोग किया है। हालाँकि, अपनी रिपोर्ट के अंदर यह बात लिखी है कि ड्राइवर आतंकवादी माना जा रहा है। उसके संबंध न केवल हिजबुल मुजाहिद्दीन से हैं, बल्कि वह जैश के संपर्क में भी था।
जैश ने पिछले साल पुलवामा में सुरक्षा बलों पर बड़े हमले को अंजाम दिया था। इस बार भी आतंकी उसी तरह के हमले की फिराक में थे।
उल्लेखनीय है कि 27 और 28 मई की रात सुरक्षाबलों के हस्तक्षेप के बाद टले एक बड़े हमले और पिछले साल हुए पुलवामा हमले में कई समानताएँ और देखी गई। दरअसल, इस बार भी आतंकियों ने अपने मनसूबों को अंजाम देने के लिए वाहन जनित आईडी विस्फोटक अपने चुना था।
जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया कि इससे पहले लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद द्वारा आतंकी हमलों में IED का इस्तेमाल किया जाता था। उन्होंने कहा कि इसमें थोड़ा संदेह है कि हिजबुल मुजाहिदीन और अन्य स्थानीय संगठन भी इसमें शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि एक वालिद नाम का पाकिस्तानी आतंकी भी इस मामले में जुड़ा हुआ माना जा रहा है। उसके अलावा कुछ अन्य व्यक्तियों के बारे में भी पुष्टि की गई है। लेकिन उनके नामों को साझा नहीं किया गया है, क्योंकि जाँच प्रारंभिक चरण में है।
डीजीपी दिलबाग सिंह ने जानकारी देते हुए इस बात का भी खुलासा किया कि हमलों से संबंधी सूचनाएँ साल के इस समय में बहुत आती हैं, क्योंकि ये समय जंग-ए-बद्र का होता है। इसके कारण हर कोई रमजान में अलर्ट पर रहता है।
11मई को ऐसी ही आतंकी गतिविधि की एक सूचना आई थी। उन्होंने बताया कि रियाज नाइकू की मौत के बाद आतंकियों पर कुछ बड़ा करने का दबाव था। इसलिए हो सकता है कि ये घटना पाकिस्तान में हाल में हुई एक बैठक का नतीजा हो, जिसमें हिजबुल मुजाहिद्दीन के सैयद सलाउद्दीन, लश्कर और जैश के आतंकियों ने हिस्सा लिया था।
डीजीपी दिलबाग सिंह ने इस घटना में ये भी बताया कि ये हमला भी 2019 की तरह नियोजित किया जा रहा था। जिसमें कई समानताएँ थीं। जैसे इस हमले के लिए भी सैंट्रो कार को चुना गया। पिछले हमले में भी सैंट्रो कार से ही हमला बोला गया था। पिछली बार भी कार का रंग सफेद था और इस बार भी कार का रंग सफेद था।
उन्होंने बताया कि साल 2019 में पूरे हमले को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था। लेकिन इस बार कुछ स्थानीय लड़के भी शामिल थे, जिनके बारे में पुलिस को पहले से अंदाजा था। 2019 वाला हमला भी नेशनल हाइवे पर हुआ था और इस बार भी इस कार को हाइवे ले जाया जा रहा था।
डीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक, कार को पुलवामा लिंक (कुशीपुरा से राजपुरा जाने वाली रोड) पर पकड़ा गया। उनका अनुमान है कि शायद आतंकी इस रोड का इस्तेमाल इसलिए इतना करते हैं क्योंकि इस सड़क पर सुरक्षाबल रात में पेट्रोलिंग नहीं करते। मगर, चूँकि इस मामले में पुलिस के पास पहले से सूचना थी, तो हर रोड को सेना ने घेर लिया। नतीजतन आतंकी अपने मनसूबों में कामयाब नहीं हो पाए।
गौरतलब है कि बीते साल पुलवामा में आतंकी हमले के बाद एनडीटीवी की एनडीटीवी की डिप्टी एडिटर निधि सेठी ने आतंकियों का महिमामंडन किया था। निधि ने पुलवामा में जवानों के वीरगति प्राप्त होने के बाद ‘हाउज द जोश’ की जगह ‘हाउज द जैश’ लिखकर कमेंट पोस्ट किया था। बाद में इस हरकत के लिए एनडीटीवी को उन्हें सस्पेंड करना पड़ा था। वहीं, एनडीटीवी का एक समय में नामी चेहरा रहीं बरखा दत्त भी बुरहान वानी के लिए स्कूल हेडमास्टर जैसे शब्दों का प्रयोग कर चुकी हैं।