आंध्र प्रदेश सरकार में विभिन्न पदों पर स्थापित रह चुके अब्दुल रहमान इलियास ने प्रवासी भारतीयों के लिए अपशब्दों का प्रयोग किया है। उसने भारतीय प्रवासियों को मूर्ख और हिजड़ा बताया। उसके लिंक्डइन प्रोफाइल की मानें तो इलियास 2016-17 मे चंद्रबाबू नायडू कि सरकार के दौरान राज्य मे एग्रीबिजनेस एडवाइजर के रूप मे पदस्थापित था। वो खुद को इस सेक्टर का एक्सपर्ट के रूप मे प्रचारित करता है।
अब्दुल रहमान इलियास ने अपने फ़ेसबुक पेज पर लिखा कि अब लोगों को पता चल रहा है कि घृणास्पद मानसिकता कितनी खतरनाक है। उसने आरोप लगाया कि वो 2015 से ही इस्लामोफोबिया को पनपते हुए देख रहा है, जिसमें लोग इस्लाम और मुसलमानों को लेकर एक बनी-बनाई धारणा लेकर चल रहे हैं। उसने दावा किया कि हिंदुओं को इस्लामी शब्दावली का ज्ञान ही नहीं और उसे लेकर हल्ला मचाए रहते हैं।
बकौल इलियास, ‘काफिर, हलाला, गजवा-ए-हिन्द, सूअर और मोहम्मद’- इन शब्दों को लेकर बिना इसका मतलब समझे हंगामा मचाया जाता है। उसने लिखा कि हिन्दू ऐसा समझते हैं कि ये पूरा देश उनका ही है और वो इसके ठेकेदार बन कर बैठ जाते हैं, खुद को हिन्दू समाज का प्रवक्ता मान लेते हैं। साथ ही उसने प्रवासी भारतीयों के बारे मे कहा कि वो मुसलमानों को गाली देते हैं और समझते हैं कि भाजपा, संघ या मोदी उनके रक्षक हैं।
उसने भड़काऊ बयान देते हुए लिखा कि अब समय आ गया है जब इन ‘हिजड़ों और बेहूदों’ को वो जहाँ हैं, उन्हें वहीं कील से ठोक दिया जाए। उसने कहा कि कई देश मुसलमानों के साथ आ रहे हैं लेकिन इससे भारत कि बदनामी भी हो रही है। बकौल इलियास, भारत मे बहुसंख्यकवाद हावी हो गया है और लोगों ने एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर रहना अस्वीकार कर दिया है। लोगों ने उसके भड़काऊ बयान का विरोध किया।
अंत मे उसने ये भी लिखा कि देश कि बदनामी हो तो हो, मुसलमानों का विरोध करने वालों को सबक सिखाया जाना चाहिए क्योंकि सबसे पहली प्राथमिकता यही है। ‘द प्रिन्ट’ कि ख़बर शेयर करते हुए उसने ये बातें लिखीं। अंत मे उसने लिखा कि मुस्लिमों का विरोध करने वालों को ऐसा मारो कि जोर का लगे। अब्दुल रहमान इलियास ने ये भी अपील कि थी कि लोग शराब कि दुकानों मे तोड़फोड़ मचाएँ।