नई दिल्ली। कोविड-19 का आर्थिक असर उम्मीदों से बहुत ज्यादा रहने की संभावना है। हालात इतने खराब है कि पहली बार देश की आर्थिक विकास दर के निगेटिव में जाने की आशंका बन गई है। यह बात आरबीआइ ने भी स्वीकार की है। रेपो रेट में 40 आधार अंकों की कटौती का ऐलान करने के बाद आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने जो इकोनॉमी की दशा व दिशा पेश की है वह किसी भी लिहाज से उम्मीद जगाने वाला नहीं है। वैसे आरबीआइ ने अभी तक वर्ष 2020-21 के लिए ग्रोथ रेट का कोई लक्ष्य तय नहीं किया। यह भी पहला मौका है जब वित्त वर्ष के तकरीबन दो वर्ष बीत जाने के बावजूद सालाना विकास का लक्ष्य तय नहीं किया गया है।
रेपो रेट घटाकर 4 फीसद किया
आरबीआई गवर्नर ने मौजूदा मंदी के माहौल को दूर करने के लिए एक केंद्रीय बैंक की तरफ से जो भी संभावी कदम हो सकता है उसका ऐलान किया है। नया रेपो रेट (इस दर के आधार पर ही बैंक होम लोन, आटो लोन, पर्सनल लोन जैसे सावधि लोन की दरों को तय करते हैं) अब 4 फीसद होगी जबकि रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसद होगी। सावधि लोन को चुकाने को लेकर जो मोरैटोरिटम लगाया गया था उसकी अवधि और बढ़ा दी गई है। पहले की घोषणा के मुताबिक यह स्कीम मई, 2020 तक थी लेकिन अब 31 अगस्त, 2020 तक के लिए होगी।
छोटी और मझौली कंपनियों को ज्यादा कर्ज देने की हुई व्यवस्था
एक समूह की कंपनियों में संयुक्त तौर पर किसी एक बैंक की तरफ से अधिकतम ऋण की सीमा 25 फीसद से बढ़ा कर 30 फीसद कर दी गई है। सिडबी के जरिए छोटे व मझोली कंपनियों को ज्यादा कर्ज देने की जो व्यवस्था की गई थी उसे भी आगे बढाया गया है। मार्च, 2020 में कोविड-19 महामारी की विभीषका का अंदाजा होने के बाद आरबीआइ लगातार चौंकन्ना है और इसके पहले भी दो बार मंदी दूर करने के उपायों का ऐलान कर चुका है।
RBI सिस्टम में डाल चुका है 8,00,863 करोड़ रुपये
शुक्रवार के प्रेस कांफ्रेंस के पहले आरबीआइ की तरफ से तमाम कदमों के जरिए सिस्टम में 8,00,863 करोड़ रुपये डाले जा चुके हैं। रेपो रेट में पिछले डेढ़ महीनों में 1.15 फीसद की कटौती की जा चुकी है। इसके बावजूद गवर्नर दास ने स्वयं स्वीकार किया है कि जो उपाय हो रहे हैं उनका जमीन पर असर दिखने में अभी वक्त लगेगा। क्योंकि कोविड-19 के दुष्प्रभाव को लेकर जो अनुमान जताये गये थे वे वास्तविक तौर पर उससे भी ज्यादा खराब हो रहे हैं। पहली छमाही में विकास दर निगेटिव में ही रहेंगे, दूसरी छमाही में सुधार की उम्मीद है। सनद रहे कि इसके पहले नोमुरा, मूडीज, एसबीआइ जैसे तमाम वित्तीय संस्थान भारत के विकास दर में 0.5 से 5 फीसद तक निगेटिव ग्रोथ होने का अनुमान लगा चुके हैं।