लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड का 5 वर्षीय कार्यकाल पूरा होने के बाद अब दोनों समितियों की कमान योगी सरकार ने अपने हाथों में ले ली है। जानकारी के मुताबिक, सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 31 मार्च और शिया वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 18 मई को पूरा हो गया है। कोरोना के कारण चुनाव टलने से दोनों वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश की सरकार के अधीन ही रहेंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि दोनों बोर्ड के काम को देखने के लिए इस दौरान सरकार द्वारा सीईओ नियुक्त किए जाएँगे।
मोहसिन रजा का कहना है कि सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड सपा की सरकार के दौरान बने थे। दोनों के कार्यकाल के दौरान कई खामियाँ नजर आई हैं। इसकी जाँच अब योगी सरकार करवा सकती है। वहीं माना जा रहा है कि अगर जाँच होती है तो कई मजहबी नेताओं का नाम भी सामने आ सकता है।
बता दें, राज्य मुख्यालय प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर यूपी के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी व बोर्ड के अन्य सदस्यों से बोर्ड के कामकाज से जुड़ी सभी फाइलें और दस्तावेज तलब किए हैं। वहीं, उपसचिव रवि शंकर मिश्रा की ओर से एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें बोर्ड के पूर्व चेयरमैन व सदस्यों से सभी दस्तावेज, फाइलें आदि तत्काल शासन को सौंपने की बात कही गई है।
इसके अलावा ये भी पता चला है कि यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन जुफर फारूकी से बोर्ड के कामकाज से संबंधित सभी फाइलें व दस्तावेज वापस लिए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बताया जा रहा है कि उन्हीं के पास अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जुड़े सभी कागजात हैं। उन्होंने कहा है कि वे संबंधित फाइलों को सरकार के नामित प्राधिकारी को सौंपने के लिए तैयार हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में वक्फ समितियों का प्रशासन और पर्यवेक्षण मुस्लिम वक्फ अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के तहत किया जाता है। शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड दोनों ही उत्तर प्रदेश विधानसभा द्वारा पारित कानून के तहत सांविधिक निकाय हैं।
स्थिति को देखते हुए इससे पहले शिया बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने यूपी सरकार को उनका कार्यकाल बढ़ने के लिए पत्र लिखा था। मगर, सुन्नी बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी ने किसी प्रकार से कार्यकाल बढ़़ाने की बात नहीं की थी।
यहाँ बता दें, मौजूदा जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश राज्य में लगभग 3 लाख सुन्नी वक्फ संपत्ति और 7,225 शिया वक्फ संपत्तियाँ हैं। इन संपत्तियों को इन संबंधित वक्फ बोर्डों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।