लॉक डाउन के कारण शहर में सभी खेल गतिविधियां बंद हैं। जब लॉक डाउन खुलेगा तो खेलों को भी पटरी पर लौटने में वक्त लगेगा, लेकिन मप्र क्रिकेट संगठन का होलकर स्टेडियम अभी से लॉक डाउन के बाद की तैयारियों में जुटा है।
कई कीर्तिमानों के गवाह रहे इंदौर के इस अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में भरी गर्मी में भी हरी घास लहलहा रही है। भविष्य की ये तैयारी तीन मैदानकर्मियों की मेहनत के सहारे हो रही है। लॉक डाउन के चलते करीब डेढ़ माह से ज्यादा बीत चुका है। जब लोग अपने घरों में होते हैं तो होलकर स्टेडियम में अनिल जीनवाल, आशीषष पपरालिया और धीरज जारवाल की तिकड़ी अपने काम में जुटी रहती है।
स्टेडियम के अंदर बने आठ कुओं से सहेजा जाता है बारिश का पानी
स्टेडियम में जहां खिलाड़ी खेलते हैं, उस जमीन के नीचे आठ कुएं बनाए गए हैं। जिससे बारिश के पानी को सहेजा जाता है। इससे यहां का जलस्तर ब़़ढता है और गर्मी में भी पानी की कमी नहीं होती है। यही पानी सालभर इस्तेमाल होता है। जबलपुर, ग्वालियर, सागर आदि शहरों में भी रेनगन से पानी का छिड़काव कर मैदान का ख्याल रखा जा रहा है।
समंदर ने बताया कि तीनों स्वेच्छा से यहां सेवाएं दे रहे हैं। सालभर जिस मैदान का बच्चे की तरह ख्याल रखते हैं, उसे बेगाना छोड़ने का मन नहीं हुआ। इनकी मेहनत का नतीजा है कि स्टेडियम मैच के लिए पूरी तरह तैयार है और लॉक डाउन खुलने के बाद यहां क्रिकेट दोबारा शुर करने के लिए दिक्कत नहीं होगी।
इन्होंने बताया कि हम घास को 8 एमएम पर काट रहे हैं। नियमित पानी और अन्य रसायन का भी छिड़काव कर रहे हैं जिससे घास की हरियाली बनी रहे। गर्मी में घास सूखने का डर बना रहता है, जिससे मैदान पीला प़़ड जाता है। ऐसी ही स्थिति प्रदेश के सभी मैदानों की है। मैदानकíमयों की मेहनत को एमपीसीए के पूर्व प्रमुख ज्योतिरादित्य ¨सधिया भी सोशल मीडिया के जरिए सराह चुके हैं।
सहवाग ने यहां बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
8 दिसंबर 2011 को वीरेंद्र सहवाग ने यहां वेस्टइंडीज के खिलाफ 219 रन की पारी खेली थी। यह किसी भी कप्तान द्वारा वनडे में खेल गई सबसे बड़ी पारी है। सहवाग के बनाया रिकॉर्ड आज तक अटूट है।