के विक्रम राव
अधीर बाबू भी अक्सर बोलते ही रहते हैं| भाजपायी मंत्रियों के भाषण में व्यवधान डालना उनकी फितरत है| सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी और सभी 49 सदस्य उन्हें तल्लीनता से सुनते हैं| बजट अधिवेशन में (4 फरवरी 2020) के दिन अधीर बाबू ने भाजपा को “रावण की औलाद” करार दिया था, क्योंकि “आपलोग बापू का अपमान करते हैं|”
सप्ताह भर में भारत के समक्ष विश्व स्वास्थ्य परिषद (WHO) के नए सदस्यों के चुनाव पर विकट समस्या आने वाली है| भारत आगामी तीन वर्षों के कार्यकाल में परिषद् की अध्यक्षता संभालेगा| अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने माँग की है कि ताईवान की (WHO) सदस्यता बरक़रार रहे| चीन को वुहान प्रान्त में कोरोना कीटाणु पैदा करने का दोषी मानते हुए दण्डित किया जाय| इनका विरोध करते हुए चीन की माँग है कि वह एक सार्वभौम राष्ट्र है, जिसका छोटा सा भूभाग विद्रोही ताईवान द्वीप है, हांगकांग की भांति, जिसे ब्रिटेन ने डेढ़ सौ साल पुरानी संधि के तहत चीन को लौटा दिया था| हालाँकि अब भारत द्वारा कम्युनिस्ट चीन को माकूल जवाब देने का वक्त आ गया है| अरुणांचल, सिक्किम, लद्दाख, भूटान तथा बाल्टिस्तान पर दावा ठोकने वाले चीन की ताईवान गणराज्य पर जमींदारी को स्वीकारने के मायने हैं कि भारत का अपना सीमावर्ती दावा कमजोर हो जायेगा| शिवलोक कैलाश और मानसरोवर तथा तिब्बत पर तो नेहरू युग में ही लाल चीन ने कब्ज़ा कर लिया था| भारत मौन रहा| इसलिए तेज तर्रार विपक्ष कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ताईवान को मान्यता देने की माँग रखी थी| मगर भारत भूमि के लगातार टुकड़े कर डालने वाली उनकी पार्टी ने खुद मैदान छोड़ दिया|
आखिर कैसे नेता हैं अधीर रंजन चौधरी जी ? सत्रहवीं लोकसभा के लिए (1999 से) पांच बार निर्वाचित हुए अधीर बाबू एक बार जेल के सींखचों के पीछे रहकर बहरामपुर (बंगाल) से प्रत्याशी रहे थे| तीन मार्क्सवादी कम्युनिस्टों की हत्या के जुर्म में कैद थे| तब ममता बनर्जी स्वयं उनके विरुद्ध अभियान करने बहरामपुर आयी थीं| नाटकीय ढंग से तृणमूल पार्टी की अध्यक्षा काले शाल से अपनी गटई बाँधी थीं| वोटरों को संदेशा देना था कि प्रत्याशी को फांसी का फंदा लगने वाला है| गत वर्ष अधीर बाबू विधुर हो गए| पत्नी अर्पिता चली गयी| उन्होंने एक विधवा अताशी चटर्जी से विवाह कर लिया| उसकी पुत्री को भी अपनाया| अधीर बाबू, जिनकी सदन में हाजिरी बयासी प्रतिशत है, केवल इंटरमीडियट पास हैं| पर हिंदी मीठी बोलते हैं| व्याकरण, लिंग भेद मिटाकर, तोड़ मोड़ कर| पिछली लोकसभा में कांग्रेस विपक्ष के नेता, दलित सांसद मापन्ना मल्लिकार्जुन खड्गे उनसे तुलना में बड़े नरम और ढीले थे| इसके भौगोलिक कारण हैं| कन्नड़ कोमलभाषी होता है| एकदम विपरीत बांग्ला भाषी है| बागी तेवर लिए| खड्गे और चौधरी दोनों रेल मंत्री रह चुके हैं| लेकिन अधीर बाबू का सियासी कैरियर बहुरंगी रहा| वे माओवादी रहे| मार्क्सवादियों को मारते थे| पर माकपा के सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियंस के 1970 में पुरोधा भी रहे| बंगाल में तेंतालीस वर्षों से लगातार पराजित होती रही, धूल फांकती सोनिया-कांग्रेस इस बार बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से केवल दो ही जीत पायी| इसमें एक अधीर बाबू जीते थे|
(वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)