टीम इंडिया (Team India) की कमान यूं तो कई हाथों में रही, लेकिन तीन खिलाड़ियों के नेतृत्व में टीम ने कमाल का प्रदर्शन किया. यही वजह है कि आज भी इनके रिकॉर्ड देखकर दिल खुशी से झूम उठता है. ये खिलाड़ी हैं सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली. गांगुली ने उस वक्त टीम को संभाला, जब वह मुश्किल दौर से गुजर रही थी. इसके बाद बतौर कप्तान धोनी ने टीम को आत्मविश्वास से लबरेज किया और अब कोहली उसे नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं. आइए देखते हैं किस तरह इन तीनों कप्तानों ने टीम इंडिया को विश्व की सबसे ताकतवर टीमों में शुमार किया.
सौरव गांगुली
2009 में सचिन तेंदुलकर के इस्तीफा देने के बाद ‘दादा’ यानी सौरव गांगुली को टीम का कप्तान नियुक्त किया गया. गांगुली ने टीम को कई मौकों पर संभाला और खिलाड़ियों में जीतने की भावना जागृत की. दादा को भारत का सबसे सफलतम कप्तान माना जाता है. उनके नेतृत्व में टीम इंडिया ने 49 टेस्ट मैच खेले, जिसमें से 21 में उसे जीत मिली, जबकि ड्रा रहे. इसी तरह 149 वन-डे में से 76 भारत के नाम रहे और 65 में उसे हार का सामना करना पड़ा. गांगुली ने केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशी धरती पर भी जौहर दिखाया. उनकी कप्तानी में टीम ने विदेशों में 11 बड़ी जीत दर्ज की थी.
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के वर्तमान अध्यक्ष गांगुली के सामने बतौर कप्तान वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान, मोहम्मद कैफ जैसे युवाओं की अगुवाई करने की चुनौती थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. टीम इंडिया 2003 के विश्व कप फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रही, हालांकि उसे जीत नसीब नहीं हो सकी. केवल ऑस्ट्रेलिया ही एकमात्र ऐसी टीम थी, जिसने भारतीय टीम का विजय रथ रोका. जब गांगुली टीम इंडिया के कप्तान बने तब आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में भारत आठवें स्थान पर था, जो बाद में छलांग लगाकर दूसरे नंबर पर पहुंच गया.
महेंद्र सिंह धोनी
धोनी को अपने करियर के शुरूआती दिनों में ही टीम इंडिया के जिम्मेदारी संभालने का मौका मिल गया. उन्हें 2007 में कप्तान नियुक्त किया था. धोनी के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी, अपने से काफी वरिष्ठ खिलाड़ियों जैसे कि सचिन तेंदलुकर, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान, हरभजन सिंह, युवराज सिंह, राहुल द्रविड़, के साथ कप्तान के तौर पर पेश आना. उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार किया और T-20 वर्ल्ड कप में जीत हासिल करके यह साबित कर दिखाया कि उनके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं. धोनी ने भारत की 28 सालों की मुराद को भी पूरा किया. उनके नेतृत्व में टीम इंडिया विश्व कप के फाइनल में पहुंची और श्रीलंका को हराकर 1983 की यादें ताजा कर दीं. महेंद्र सिंह धोनी एकमात्र ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने ICC के तीनों मुख्य टूर्नामेंट – 50-ओवर वर्ल्ड कप, T-20 वर्ल्ड कप, और चैंपियंस ट्रॉफी में टीम को जीत दिलाई है.
अपनी कप्तानी में धोनी ने 119 वन-डे मैच खेले और 110 में टीम को जीत नसीब हुई, जबकि 74 में उसे हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह उनकी कप्तानी में खेले गए 60 टेस्ट मैचों में भारत को 27 में जीत मिली. इसके अलावा, T-20 में भी उनका प्रदर्शन शानदार रहा. एमएस धोनी की कप्तानी में भारत 18 महीने तक टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर रहा. वह ऑस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग और एलन बॉर्डर के बाद 100 मैच जीतने वाले तीसरे कप्तान रहे हैं.
विराट कोहली
विराट कोहली ने टेस्ट मैचों में कप्तानी तब शुरू की, जब धोनी को 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में चोट के चलते बाहर किया गया. मौजूदा भारतीय कप्तान ने पहली पारी में 115 रन बनाए, जिसके बाद दूसरी पारी में 141 रन ठोंके. इस तरह कोहली अपनी टेस्ट कप्तानी के पहले मैच में शतक बनाने वाले चौथे भारतीय बन गए. जनवरी 2017 में धोनी के वन-डे की कप्तानी छोड़ने के बाद कोहली खेल के तीनों प्रारूपों में कप्तान की भूमिका में आ गए. उनके नेतृत्व में टीम 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल और 2019 में विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंची.
कोहली की कप्तानी में भारत ICC रैंकिंग में अक्टूबर 2016 से अप्रैल 2020 तक नंबर 1 टेस्ट टीम बना रहा. इसके अलावा, टेस्ट में भी वह शीर्ष पायदान पर पहुंचने में सफल रहा. बतौर कप्तान विराट कोहली ने 52 एक-दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैचों में टीम का नेतृत्व किया, जिसमें से 39 में हमें जीत हासिल हुई. इसके अलावा टेस्ट और T-20 में भी उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. टेस्ट में भारत के सबसे सफल कप्तान कहे जाते हैं. हालांकि, उनकी कप्तानी में टीम इंडिया वर्ल्ड कप जीतने का सपना पूरा नहीं कर पाई, लेकिन अभी उनके पास कई मौके हैं और उम्मीद है कि वह कमाल दिखाने में कामयाब रहेंगे.