बीजिंग। एक आंतरिक रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि वैश्विक रूप से चीन (China) विरोधी भावनाएं इस वक्त अपने चरम पर हैं. रॉयटर्स के मुताबिक, रिपोर्ट में ये चेतावनी दी गई है कि कोरोना वायरस (coronavirus) प्रकोप के मद्देनजर चीन (China) बढ़ते द्वेष का सामना कर रहा है, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका (US) के साथ उसके संबंध बिगड़ सकते हैं.
कोरोना वायरस जो सबसे पहली बार चीन के वुहान शहर में दिखा था, उसने विश्व स्तर पर अब तक 3 मिलियन से अधिक लोगों को संक्रमित किया है और इसके कारण करीब 2 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
राज्य सुरक्षा मंत्रालय ने चीनी की इस रिपोर्ट को पिछले महीने के शुरुआत में राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित बीजिंग के शीर्ष नेताओं को सौंपा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन को अमेरिका के साथ सशस्त्र टकराव की सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है.
ये रिपोर्ट चीनी रक्षा मंत्रालय से संबद्ध एक थिंक टैंक चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेमंपरेरी इंटरनेशनल रिलेशन्स (CICIR) द्वारा तैयार की गई थी, जो चीन के शीर्ष खुफिया एजेंसी है.
दोनों देशों के बीच बढ़ती खाई
चीन और अमेरिका के बीच संबंध पिछले कुछ दशकों में अपने सबसे खराब स्तर पर देखे जा रहे हैं. अनुचित व्यापार और प्रौद्योगिक कार्यों को लेकर अमेरिका के अविश्वास और मनमुटाव से शुरू होते हुए, हांगकांग, ताइवान और दक्षिण चीन सागर के विवादित इलाकों पर तकरार तक, अमेरिका-चीन संबंधों के बीच खाई बढ़ती जा रही है.
कोरोना वायरस ने हजारों अमेरिकी लोगों की जान ली है और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तब से चीन की आलोचना कर रहे हैं और चीन पर नए टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं. इस बीच, उनका प्रशासन चीन से बदला लेने के तरीकों पर विचार कर रहा है.
इसके विपरीत, बीजिंग में यह व्यापक रूप से माना जाता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका उभरते हुए चीन को नियंत्रित करनाचाहता है, जो अर्थव्यवस्था बढ़ने के कारण विश्व स्तर पर अधिक मुखर हो गया है.
अंत में रिपोर्ट में ये निष्कर्ष निकाला गया कि वाशिंगटन, चीन के उदय को आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे और पश्चिमी लोकतंत्र के लिए एक चुनौती के रूप में देखता है. रिपोर्ट ने यह भी कहा है कि अमेरिका का लक्ष्य जनता के विश्वास को कम करके सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को हटाना है.
चीन COVID-19 के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है. इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों के लिए अपने डोनेशन और चिकित्सा उपकरणों की बिक्री और अपने अनुभव साझा करना शामिल है. लेकिन चीन को उन आलोचकों के बढ़ते द्वेष का भी सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने इस महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है.
ट्रम्प ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर चीन को लेकर पक्षपती रवैया अपनाने का आरोप लगाया था और कहा था कि वो अब WHO को फंड नहीं देंगे. ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने भी वायरस की उत्पत्ति और इसके फैलने को लेकर एक अंतर्राष्ट्रीय जांच की मांग की है.
पिछले महीने, फ्रांस ने चीनी दूतावास की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख के विरोध में चीन के राजदूत को तलब किया था. इस लेख में कोरोना वायरस से निपटने के लिए पश्चिमी देशों के प्रयासों की आलोचना की गई थी.
और रिपोर्ट के अंत में..
रिपोर्ट से पता चलता है कि चीन विरोधी भावना चीन के रोड इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश परियोजनाओं के विरोध को और भड़का सकती हैं. और अमेरिका क्षेत्रीय सहयोगियों को आर्थिक और सैन्य समर्थन देकर एशिया में सुरक्षा स्थितियों को और लचीला बना सकता है.
तियानमेन नरसंहार के बाद जो परिस्थितियां बनी थीं, अब वैसी स्थिति नहीं है क्योंकि चीन अब पहले से ज्यादा ताकतवर है.तब कई पश्चिमी सरकारों ने चीन के खिलाफ कई प्रतिबंध लगाए थे और चीन अलग-थलग पड़ गया था.