पालघर/मुंबई। पालघर में दो साधुओं की भीड़ द्वारा निर्मम हत्या के मामले में 110 लोग गिरफ़्तार किए जा चुके हैं। वहाँ हुई इस घटना के बाद तरह-तरह को बातें सामने आ रही हैं। जैसे, वहाँ एक डॉक्टर पर हमला हो चुका था और एक मानसिक रूप से बीमार तमिल व्यक्ति को मारा-पीटा गया था, जिसके बाद पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। हत्यारी भीड़ के साथ एनसीपी और सीपीएम के नेताओं की मौजूदगी भी संदेह खड़ा करती है। आख़िर क्या कारण है कि साधुओं के प्रति घृणा का अंजाम इस वारदात के रूप में हुआ? भगवा के प्रति इस घृणा का कारण क्या? पहली नज़र में ही ये आम वारदात नहीं लगती।
उस क्षेत्र में मिशनरियों का प्रभाव होने की बात भी पता चली है। यहाँ 2019 में ही मिशनरियों का एक वीडियो सामने आया था, जो बताता है कि वो धर्मान्तरण के लिए क्या-क्या कर रहे हैं। क्या उन्हें ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता, जो लगातार लोगों में हिन्दू देवी-देवताओं और साधु-संतों के ख़िलाफ़ ज़हर भरने में लगे रहते हैं। अप्रैल 2019 में ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसकी चर्चा अब फिर से हो रही है। ये वीडियो मिशनरियों की सच्चाई को बयान करता है।
इस वीडियो में मिशनरी कहते दिख रहे हैं कि गणपति तो हाथी हैं और हनुमान एक बन्दर हैं, ऐसे झूठे भगवान तुम्हें कैसे बचा सकते हैं? साथ ही वो जीसस क्राइस्ट को स्वीकार करने की अपील भी कर रहे हैं। ये वीडियो महाराष्ट्र के कोंकण स्थित पालघर का था, जहाँ से कुछ दूरी पर आज ये घटना हुई है। जहाँ साधुओं की हत्या हुई, वो भी पालघर जिला ही है। भगवान गणेश और हनुमान के लिए आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करने वाले ये मिशनरी लोगों के दिलों में हिन्दू देवी-देवताओं के प्रति घृणा भर रहे हैं, जो किसी न किसी रूप में अक्सर सामने आता ही रहता है। देखें वीडियो:
christian Missionaries in Palghar, maharastra abuse Hindu deities and ask ppl to accept Jesus. They say Maruti is a monkey and ganpati is an elephant, how can such false gods protect you, 2019 Video
पालघर हत्याकांड पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर भी सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने भी तभी ट्वीट किया, जब इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। साथ ही इसे साम्प्रादायिक एंगल न देने की अपील भी की गई। एनसीपी और सीपीएम नेताओं की मौजूदगी पर सरकार की तरफ से कुछ नहीं कहा गया है। उद्धव ठाकरे ने आज फिर से बयान दिया, जिसमें उनका पूरा जोर इसे सांप्रदायिक रंग न देने को लेकर था। हालाँकि, शिवसेना के अन्य नेतागण सोशल मीडिया पर इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप करने में ही जुटे हुए हैं। तभी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र सरकार से रिप्लाई माँगा है।