नई दिल्ली। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में दुनिया के दूसरे देश से भारत हर मोर्चे पर आगे रहा है। प्रति 10 लाख की जनसंख्या पर कोरोना के मरीजों की संख्या के हिसाब से देखें तो भारत पश्चिमी देशों से पीछे है। अगर कोरोना मरीजों की संख्या दोगुनी होने का हिसाब लगाया जाए तो भारत में पश्चिमी देशों की तुलना में ज्यादा वक्त लग रहा है। भारत में कोरोना के टेस्ट कम होने का आरोप भले लगाया जाता हो, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि भारत में 24 टेस्ट करने पर एक मरीज मिल रहा है। जबकि अमेरिका में 5 टेस्ट में ही एक मरीज मिल रहा है।
दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में कई गुना अधिक टेस्ट कर रहा भारत
इस मामले में केवल कनाडा भारत से आगे
यदि पांच हजार और 10 हजार कोरोना के केस पहुंचने तक दुनिया के दूसरे देशों में किये गए टेस्ट से तुलना करें तो सिर्फ कनाडा भारत से आगे दिखता है। पांच हजार मरीज पहुंचने तक कनाडा 2,41,138 टेस्ट और 10 हजार पहुंचने तक 2,95,065 टेस्ट कर चुका था। जबकि अमेरिका ने 1,04,073 और 1,39,878 टेस्ट किये थे। इटली और ब्रिटेन इससे भी काफी पीछे रहा था। वहीं भारत ने इसके लिए 1,14,015 और 2,17,554 टेस्ट कर चुका था।
भारत में अन्य देशों की अपेक्षा धीमी गति से बढ़ रहे हैं आंकड़े
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 750 से 1500 और 1500 से 3000 मरीजों की संख्या पहुंचने में भारत में चार दिन लगे थे। लेकिन तीन हजार से छह हजार पहुंचने में पांच दिन लगे और छह से 12 हजार पहुंचने में छह दिन लगे। लेकिन अमेरिका में इतने मरीज होने तक उनकी संख्या हर दूसरे दिन दोगुनी हो रही थी। विकसित देशों में सबसे बेहतर प्रदर्शन कनाडा का रहा, लेकिन वहां भी छह हजार से 12 हजार मरीजों की संख्या पांच दिन में हो गई थी।
प्रति लाख जनसंख्या में मरीजों की संख्या काफी कम
17 जनवरी को ही चीन से आने वाले यात्रियों के लिए स्क्रीन टेस्ट और 550 मरीज होने के बाद ही लॉकडाउन जैसे फैसलों की वजह से देश में प्रति लाख जनसंख्या में मरीज की संख्या दुनिया के अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। भारत में 10 लाख की जनसंख्या पर महज नौ कोरोना के मरीज हैं। जबकि विश्व औसत 267 मरीजों का है। प्रति 10 लाख की आबादी पर अमेरिका में 1946, स्पेन 3,864, इटली में 2,732, फ्रांस में 2265, जर्मनी में 1608 और ब्रिटेन में 1451 कोरोना के मरीज हैं।