पलायन या षड्यंत्र? ये देश को तबाह करने की साजिश नहीं तो और क्या है? दो लाख लोग इकट्ठा कैसे हो गए?

नई दिल्ली। हम लोगों के जॉब की प्रकृति ही है कि हमें लोगों के पास जाकर पूछना होता है। हालात चाहे कैसे भी क्यों न हों, हमें उनका हाल बयान करना होता है चाहे वो कैसा भी क्यों न महसूस कर रहे हों। जब 2 लाख लोग अपने घरों से निकले तो बातें होने लगीं कि केंद्र सरकार लॉकडाउन को कम्युनिकेट नहीं कर पाई और सरकार ने ढील दी है। मैं यह नहीं मानता। अगर झुग्गी में बैठी महिला पीएम मोदी के जनता-कर्फ्यू के सन्देश से घण्टी-थाली बजाती है, तो मैं नहीं मानता कि सरकार लॉकडाउन का सन्देश उन तक पहुँचाने में नाकामयाब रही हो।

आदमी अफवाह के कारण पैदल चलना शुरू कर देता है। दिल्ली सरकार की हेल्पलाइन काम नहीं कर रही थी, लोगों के पास भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। 2 लाख में से अगर गिने-चुने लोग भी ऐसे हैं, जिनके लक्षण दिख नहीं रहे, लेकिन सम्भावना है कि वो संक्रमित हों, तो सोचिए कि अरविन्द केजरीवाल का यह कारनामा कितनी बड़ी आपदा पैदा करने जा रहा है।

दिल्ली में रह रहे 15 लाख लोग इस दौरान एयरपोर्ट से आए हैं। ये लोग बस, मेट्रो, एयरपोर्ट, रेल, सब जगह पहुँचे होंगे। आनंद विहार में लोग लाइन लगाकर खड़े हैं, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग कहाँ है? यह वायरस हर दूसरे संक्रामक वायरस की तरह ही फैलता है। और इसके अन्य क्या लक्षण हो सकते हैं, उनके बारे में कोई जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं है।

ऐसे में दिल्ली का सीएम लोगों को जाने दे रहा है। रवीश कुमार जैसे लोग प्रपंच किए जा रहे हैं। एक ओर नोएडा का डीएम कहता है कि गरीबों से किराया ना लें, दूसरी तरफ दिल्ली में डीटीसी बसें भर-भरकर लोगों को बॉर्डर पहुँचाती रही।

अरविन्द केजरीवाल को जिन गरीबों ने सत्ता दिलाई, उन्हें ही इस्तेमाल किए गए कंडोम की तरह फेंक दिया गया। यह राय अरविंद केजरीवाल को कौन दे रहा है? 2 लाख मजदूर अफवाहों से घबराकर सड़क पर आ गए। दिल्ली सरकार ने उनकी खाने-रहने जैसी व्यवस्थाओं को लेकर कोई आश्वसन नहीं दिया।

क्या दिल्ली सरकार के पास कोई जानकारी नहीं है कि गरीब लोग किस जगह रहते हैं? वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ 26 तारीख को दो-दो प्रेस रिलीज जारी करते हैं। उन्होंने रात में जगाकर अपने अधिकारियों को कहा कि इन लोगों के स्वास्थ्य और ठहरने की व्यवस्था की जाए और उसके बाद कहा कि स्वास्थ्य संबंधी जाँच के बाद ही इनके जाने की व्यवस्था की जाए। केजरीवाल दिल्ली को न्यू यॉर्क और लन्दन बनाने की बात करता है और आपदा के आते ही सबसे पहले दो लाख लोगों को वापस अपने घर जाने को मजबूर कर देता है।

आरएसएस के अभियान जारी हैं, एक महिला विधायक हैं जो मशीन से मास्क बना रही हैं, और अरविन्द केजरीवाल तब अफवाहें फैला रहे थे कि UP सरकार बसें भेज रही हैं। वो तो पढ़ा-लिखा था, 2012 में किस तरह के लोग इसके समर्थन में थे, हमें याद है। खुद को IIT से पासआउट कहने वाला यह आदमी किस तरह के निर्णय लेता है? अगर 2 लाख में से 5 आदमी भी संक्रमित हैं तो आप परमाणु बम के समान विस्फोटक तैयार कर रहे हैं।

कुछ आँकड़े हैं, जिन्हें जानने के बाद आप खुद इसका विश्लेषण देख सकेंगे। दिल्ली सरकार ने कहा कि दिल्ली के पास विश्वस्तरीय सुविधाएँ हैं, और कहा कि यहाँ लोगों के आने की गति बढ़ी है। लेकिन ध्यान देने की बात यह है कि हर शेल्टर होम में यह गति नहीं बढ़ी।

शेल्टर होम के जो आँकड़े दिए गए वो झूठे थे, केजरीवाल को अंदाजा था कि उनके पास इस जनता को हैंडल करने की क्षमता नहीं है। बिहार का दुर्भाग्य यह है कि वह छाती ठोककर कहता है कि बिहार के लोग हर जगह जाकर कूड़ा बीनते हैं। जो घण्टा हम पहले लालू राज में बजाते रहे, वही अब हम नीतीश राज में बजा रहे हैं।

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