‘एव्री रियल क्राइसिस इज अ ऑपर्च्युनिटी’ ऐसी कुछ कहावत कहते हैं अंग्रेजी में जिसका मतलब है कि संकट हमेशा एक बढ़िया अवसर होता है जिसे भुनाने से चूकना नहीं चाहिए! यह कहावत वैश्विक कोरोना महामारी के इस कठिन दौर में चीन के क्रियाकलापों को देखते हुए, उस पर खरी उतरती है। एक तरफ उसने नोवेल कोरोना वायरस को दबाने की कोशिश कीं जबकि सही समय पर इस घातक वायरस से दुनिया को चेता कर वह दुनिया भर को इस महामारी से बचा सकता था, दूसरी तरफ वह इस संकट की घड़ी में दुनिया भर के सामने यह जताने की फ़िराक में लगा हुआ है कि वह इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में उनके साथ है, उन्हें मेडिकल टीम्स, उपकरणों आदि के जरिए मदद कर रहा है।
हालाँकि मीडिया में आ रहीं रिपोर्ट्स के अनुसार सच्चाई इससे ठीक उलट है और चीन इस मौके को भी सिर्फ अपना धंधा बढ़ाने, मुनाफे कमाने के तौर पर देख रहा है। वह भी घटिया क्वालिटी के उपकरण बेंच कर जिनमें से ज्यादातर किसी काम के नहीं है। उदाहरण के लिए कोरोना के कारण मरने वालों की संख्या में इटली के बाद आने वाले स्पेन के स्वास्थ्य मंत्री ने बुधवार को बताया था कि उनके देश ने चीन से 467 मिलियन यूरो के चिकित्सा उपकरण खरीदे हैं, जिसमें 950 वेंटिलेटर्स, 5.5 मिलियन टेस्टिंग किट्स, 11 मिलियन ग्लव्स और 50 करोड़ से ज्यादा फेस मास्क्स शामिल हैं।
अब रिपोर्ट्स आ रहीं कि इन खरीदी गईं मेडिकल टेस्टिंग किट्स में से ज्यादातर किसी काम की नहीं हैं। कुल 55 लाख टेस्टिंग किट्स में से अबतक खराब किट्स की संख्या 6,40,000 पहुँच चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बकौल स्पेन की लैब्स ये रैपिड टेस्टिंग किट्स मात्र 10 में से 3 मामलों में कोरोना संक्रमित व्यक्ति की पहचान कर पा रहीं हैं। यानी अगर 10 कोरोना संक्रमित व्यक्तियों का टेस्ट इन किट्स के जरिए होता है तो उसमें से महज 3 मामलों में ये किट सही परिणाम दे पातीं हैं। जानकारों के अनुसार जबकि टेस्ट परिणाम 80% होना चाहिए यानी हर 10 संक्रमित मरीज में से कम से कम 8 के टेस्ट सही आने चाहिए।
चीन ने इन घटिया किट्स के आरोपों को स्वीकार करते हुए कहा है कि जो टेस्टिंग किट्स उसने स्पेन को बेंची हैं वो Bioeasy नामक कम्पनी ने बनाई हैं जिसे ऐसी किट्स बनाने का लाइसेंस नहीं मिला हुआ है। यहाँ पर सवाल उठता है कि फिर उसने ऐसी लापरवाही की कैसे? जितना पैसा और जो समय स्पेन ने चीन से इन मेडिकल उपकरणों को हासिल करने में जाया किया है उसका बेहद बुरा प्रभाव उस पर पड़ सकता है जहाँ अभी तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 4100 से ज्यादा हो चुकी है जो इटली के बाद सबसे ज्यादा है।
ठीक यही हाल चेक रिपब्लिक का है जिसने 300,000 रैपिड कोरोना वायरस किट्स चीन से मँगवायीं थीं पर अब मालूम पड़ रह कि इनमें से 80 फीसदी किसी काम की नहीं है। 1.83 मिलियन यूरो कीमत की ये किट्स कोरोना संक्रमण के नतीजे गलत तरह से दर्शा रहीं हैं यानी कोरोना पॉजिटिव को निगेटिव और कोरोना निगेटिव को पॉजिटिव। रिपोर्ट्स के अनुसार चेक रिपब्लिक से इन खराब किट्स के बावत यह सूचना यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ओस्त्रावा के हाईजिनिस्ट्स के द्वारा सामने लाई गई है।
याद रहे कि अबतक विश्व में ‘चायनीज कोरोना वायरस’ से संक्रमित लोगों की संख्या 5 लाख 42 हजार से ज्यादा हो चुकी है जिनमें से 24,000 से ज्यादा लोग मर चुके हैं।