भोपाल। शहडोल जिले के ब्योहारी विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित भाजपा विधायक शरद कोल को दो नाव की सवारी महंगी पड़ी। कोल की पारिवारिक पृष्ठभूमि कांग्रेस की है और वे चुनाव जीतने के बाद से ही मुख्यमंत्री कमल नाथ के प्रति कई बार हमदर्दी जता चुके हैं। पिछले साल विधानसभा सत्र के दौरान भी एक विधेयक पर मत विभाजन के दौरान कोल कांग्रेस के साथ खड़े दिखाई दिए थे।
तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि कोल भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं पर जब कमल नाथ सरकार के अल्पमत में आने की संभावना बनी, तो कोल भाजपा के पाले में आ गए। पिछले कुछ दिनों से वे भाजपा कैंप में ही डेरा डाले हुए थे, लेकिन उन्हें दो नाव की सवारी भारी पड़ गई। विश्वास जताने के लिए कांग्रेस को दिया गया इस्तीफा उनके गले की फांस बन गया। विधानसभा अध्यक्ष ने फ्लोर टेस्ट से पहले कोल का इस्तीफा मंजूर कर उनकी सदस्यता समाप्त कर दी। अब कोल कह रहे हैं कि उनसे दबाव में इस्तीफा लिखवाया गया था।
कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद भाजपा विधायक शरद कोल ने स्पीकर एनपी प्रजापति को अपना इस्तीफा सौंपा है। स्पीकर ने शुक्रवार को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। हालांकि शरद कोल का कहना है कि उन्होंने इस्तीफा वापस लेने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन स्पीकर एनपी प्रजापति ने कहा कि उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया है।