राजेश श्रीवास्तव
अब जब दिल्ली हिंसा थम गयी है और लोग कोशिश कर रहे हैं कि जिंदगी फिर से पटरी पर लौटे तो कुछ उपद्रवी अभी भी ऐसे हैं जो माहौल को लगातार खराब करने की कोशिश में जुटे हैं। शनिवार को ऐसी ही कोशिश दिल्ली के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर हुई जहां 6 लोगों को दिल्ली के गद्दारों को गोली मारो के नारे लगाने के चलते हिरासत में लिया गया। वहीं इस माममें में अब जो खुलासे हो रहे हैं वे बेहद चौकाने वाले हैं और यह साफ हो गया है कि दिल्ली हिसां के लिए बाकायदा दो सप्ताह पहले से ही तैयारी तेज हो गयी थी। कई सौ ट्रैक्टर-ट्रालियों से ईंट-पत्थर मंगाये गये थ्ों। तमाम अवैध हथियारों का जखीरा इकट्ठा किया गया था। यही नहीं, एक और तस्वीर जो सामने आयी है उससे लगता है कि दिल्ली दंगांे की चपेट में आये लोग लगातार पुलिस से सहायता मांग रहे थ्ो लेकिन पुलिस उन तक नहीं पहुंच सकी। इन सबका ही नतीजा है कि दिल्ली हिंसा में 42 लोगों की मौत हो गयी और दो सौ से ज्यादा लोग अभी भी दिल्ली के अस्पतालों में जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं।
दिल्ली के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर पर नारेबाजी करने के आरोप में सीआईएसएफ ने 6 लड़कों को हिरासत में लिया है। दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा संभालने वाली सुरक्षा एजेंसी सीआईएसएफ ने कहा है कि शनिवार को सुबह 6 युवक राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर नारेबाजी करते हुए दिखाई दिए। मौके पर मौजूद जवानों ने उन्हें तुरंत पकड़ लिया और दिल्ली मेट्रो के सुरक्षा अधिकारियों को सौंप दिया, सीआईएसएफ के मुताबिक इस घटना का मेट्रो परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ा। डीसीपी मेट्रो ने कहा कि 12.3० बजे 6 लड़के राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर देश के गद्दारों को…गोली मारो…के नारे लगा रहे थे। इन लड़कों को हिरासत में लेकर राजीव चौक मेट्रो पुलिस स्टेशन पर लाया गया। यहां पर इनसे पूछताछ की जा रही है।
वहीं देश की राजधानी दिल्ली में हुए दंगों में अब तक 42 लोगों के मारे जाने की खबर है। सैकड़ों घायल हैं और करोड़ों का नुकसान हुआ है। खौफ और खून से सने दंगों को लेकर धीरे-धीरे कई खुलासे हो रहे हैं। पता चला है कि हिसा के लिए बोरियों में पत्थर रखकर छतों पर पहुंचाने के लिए ट्रैक्टरों की मदद से भट्ठों से ईंटें मंगाकर उनके टुकड़े किए गए थे। हिसाग्रस्त मुस्तफाबाद, करावल नगर, चमन पार्क, शिव विहार सहित अन्य इलाकों में हिसा के एक सप्ताह पहले से ही ईंटों से लदे ट्रैक्टरों की आवाजाही बढ़ गई थी। जिनके घर पर यह ईंट रखी जा रही थी उनका तर्क था कि मकान के निर्माण कार्य के लिए यह ईंटे मंगाए गए थे। जबकि जांच में सामने आया है कि इन ईंटों को ही तोड़कर उसे दंगे में इस्तेमाल करने के लिए लाया गया था। मुस्तफाबाद की हर गली में ज्यादातर मकान के बाहर ईंटों का ढेर लगा हुआ है। जबकि जिन मकानों के सामने यह ईंट पड़े हैं वहां कोई निर्माण कार्य भी नहीं हो रहा है। अचानक ईंट के यह ढेर आधे हो गए, जिसका जवाब गली में रहने वाले लोगों के पास नहीं है।
दिल्ली में हुई हिसा में कई लोग गोलियों का शिकार बने। जी.टी.बी अस्पताल में 28 लोग भर्ती हुए थे उनमें से 8 ऐसे थे जिन्हें गोली मारी गई थी। दिल्ली में हुई हिसा में जमकर अवैध हथियारों का इस्तेमाल किया गया। सूत्रों के मुताबिक हिसा में करीब पांच सौ राउंड से ज्यादा गोलियां चली हैं। हिसा में गोलियों का इतनी बड़ी मात्रा में इस्तेमाल परेशानी का सबब बन सकता है वो भी तब जब लाइसेंस देने में 49% कमी आयी है। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2०11 में 1174 लाइसेंस विभिन्न हथियारों के लिए जारी किए गए थे लेकिन ये आंकड़ा 2०18 में घटकर 574 हो गया। हिसा स्थल पर कारतूस के खोके बरामद किए गए जिन्हें फिर पुलिस ने जांच के लिए जमा कर लिया। पिस्टल और देसी तमंचे से घायल कई लोग जख्मी अवस्था में अस्पताल पहुंचे। इससे पहले 1984 में और 1992 में हुई हिसा में गोली लगने की घटनाएं इस से कम थी। राजधानी दिल्ली में इतनी बड़ी संख्या में गोलीबारी की ये पहली घटना है। इस हिसा की एक बड़ी वजह है आसानी से इन अवैध हथियारों को उपलब्ध होना और सवाल ये भी उठता है की आखिर इतनी बड़ी संख्या में कैसे लोगों को अवैध हत्यार उपलब्ध हो रहें हैं, जो लोग इन हत्यारों को ये असलहे मुहैया करवा रहें हैं आखिर पुलिस ने उनपर नकेल क्यों नहीं कसी। उपद्रवियों का इतनी बड़ी संख्या में अवैध हत्यारों का इस्तेमाल करना चिताजनक है।
पुलिस को ऐसा शक है कि नार्थ ईस्ट दिल्ली में अवैध हथियारों के जखीरे पाए जा सकते हैं। वहीं एक्सपर्ट की मानें तो इन क्षेत्रों के बदमाशों ने बेरोज़गार युवाओं को हथियार पकड़ा दिए जिससे गोली बारी की घटनाओं में इतना इज़ाफ़ा हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में हथियारों की बरामदगी वर्ष 2०16 से 2०17 के बीच 53 फीसदी तक बढ़ी है.2०16 में 9०2, 2०17 में 1381 और 2०18 में 19०5 अवैध हथियार बरामद किए गए थे।
बता दें हिसा के चार दिनों के भीतर दिल्ली पुलिस को 13,2०० डिस्ट्रेस कॉल्स आईं। हालांकि इन कॉल्स के रिस्पॉन्स में क्या किया गया, इसकी कोई जानकारी नहीं मिली। 23 से 26 फरवरी के बीच पुलिस कंट्रोल रूम में तेजी से कॉल्स की संख्या बढ़ी। रिपोर्ट के अनुसार, 23 फरवरी को जहां 7०० फोन कॉल्स आईं, तो वहीं 35०० फोन कॉल्स 24 फरवरी को की गई। साथ ही 25 फरवरी को 75०० फोन कॉल्स पीसीआर में आए। 26 फरवरी को फोन कॉल्स की संख्या घटकर 15०० हो गई। कॉल्स की संख्या से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिसा कितनी भयावह रही होगी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्हें 24-26 फरवरी के दौरान 3,०००-35०० कॉल्स आईं। रजिस्टर के 8 पन्नों में यह कॉल्स दर्ज हैं। हर पन्ने पर 9 कॉलम हैं जिसमें शिकायतकर्ता का नाम, शिकायत का मूल, शिकायत कब की गई और क्या एक्शन लिया गया जैसे कॉलम दर्ज हैं । रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर मामलों में क्या एक्शन लिया गया, इसकी कोई जानकारी रजिस्टर में नहीं दी गई।