नई दिल्ली। रविवार शाम से ही दिल्ली में जारी हिंसा के बीच एक ओर जहाँ देश का लेफ्ट-लिबरल मीडिया गिरोह इसे हिन्दूओं द्वारा भड़काई हुई हिंसा बताने का प्रयास करते हुए देखा गया वहीं, जमीन पर इन दंगों की असलियत सिर्फ आम आदमी ही जान रहे हैं। हिंसा, आगजनी, गोलीबारी और तोड़फोड़ के बीच हमने एक दंगा पीड़ित युवती ने सम्पर्क किया। घटना के वक़्त वहाँ मौजूद लड़की ने बताया कि उसके घर के पास स्थित मुस्लिम कॉलोनी में किस प्रकार से दंगे भड़काने का प्रयास किया जा रहा है।
यह घटना मंगलवार (फरवरी 25, 2020) शाम की है। घटनास्थल पर मौजूद युवती ने फौरन व्हाट्सएप पर इस घटना का आँखों-देखा हाल हमको भेजते हुए बताया, “यहाँ कुछ भी ठीक नहीं है। मेरे घर के सामने ही दंगे और मारपीट हो रहे हैं। घर के सामने ही मुस्लिम बस्ती है, वहाँ से लोग आकर हिन्दू इलाके में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। यहाँ न कोई पुलिस है ना ही कोई सुरक्षा का प्रबंध। सिर्फ बजरंग दल और आरएसएस के लोग ही आकर मदद कर रहे हैं। ये यहाँ पर न होते तो वो कब के यहाँ घुस चुके होते। उन्होंने मुस्लिम बस्ती में रहने वाले हिन्दुओं के घर और दुकानों को जला दिया है।”
दंगों से घबराई हुई युवती ने बताया कि यह घटना जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर के पास की ही है। संदेश में युवती ने बताया है कि मुस्लिम बस्ती में दिन में ही स्पीकर्स से ऐलान किया गया था कि दिन में बारह बजे के बाद दंगे होंगे।
अपने संदेश में युवती ने कहा कि उनकी कॉलोनी के लोग रात भर खौफ के साए में ही रहे और अगली सुबह पुलिस के फ्लैग मार्च के बाद ही वहाँ मौजूद लोगों ने राहत की साँस ली। साथ ही युवती ने कहा कि भागीरथ विहार में मौजूद हिंदुओं ने ही मुस्लिमों को शरण देकर बचाया है। जबकि मुस्लिम भीड़ निरंतर उनकी कॉलोनी में आकर उपद्रव करने की कोशिश करती रही।
बता दें कि मुख्यधारा की मीडिया निरंतर यह दिखाने का प्रयास करती नजर आ रही है कि दिल्ली के दंगों में मात्र मुस्लिमों को ही नुकसान हुआ है। जबकि इसके उलट हक़ीक़त यह है कि हिन्दू पहचान बाहर होने के डर से यह बताने में भी डर रहे हैं कि मुस्लिम उपद्रवियों ने उनके घरों में घुसकर किस तरह से हैवानियत को अंजाम दिया।