नई दिल्ली । CAA के खिलाफ शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में चल रहे धरने को खत्म कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त वार्ताकार गुरुवार को भी वहां पहुंचे, लेकिन दूसरे दिन की बाचतीत में भी कोई नतीजा नहीं निकला. दिन में करीब साढ़े 3 बजे वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और साधना रामाचंद्रन प्रदर्शनकारियों से बात करने पहुंचे, लेकिन उनको बार-बार समझाने पर भी वो बिना मीडिया के सामने अलग से बात करने को राज़ी नहीं हुए.
साधना रामाचंद्रन ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाया कि CAA और NRC का केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, उस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट आपका पक्ष जाने बगैर कोई भी फैसला नहीं देगा. उन्होंने प्रदर्शनकारियों को समझाया कि प्रदर्शन करना आपका लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन किसी भी मुख्य सड़क को प्रदर्शन करने के नाम पर बंद कर देना ये दूसरों के अधिकारो का हनन है. लिहाजा आप लोग किसी दूसरी वैकल्पिक जगह पर प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी सड़क को किसी भी कीमत पर खोलने को तैयार नहीं हुए.
वार्ताकार उनसे अलग-अलग ग्रुप में बात करना चाहते थे. प्रदर्शनकारियों का एक गुट बात करने को राजी था, लेकिन एक गुट सारी बातें मीडिया और स्टेज के जरिये ही करने पर तुला हुआ था. बात लोगों की समझ में ना आती देख साधना रामाचंद्रन ने नाराज़ होकर बोल दिया कि ‘इन हालात में नहीं हो सकती बात. हम नहीं आएंगे कल’. इसके बाद प्रदर्शनकारियों में से कुछ लोग वार्ताकारों को मनाने लगे और उनको वो वैकल्पिक मार्ग दिखाने ले गए, जिनको पुलिस ने बंद किया हुआ है. लेकिन वो किसी भी सूरत में बंद पड़ी सड़क को खोलने के लिए राजी नहीं हैं.
24 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की दोबारा सुनवाई है, जहां पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट सड़क को बंद करने को लेकर पहले ही नाराज़गी जता चुका है. ऐसे में प्रदर्शनकारियों का वार्ताकारों के साथ ऐसे व्यवहार को देखकर लगता है कि अब ये प्रदर्शन अपने अंतिम दौर में है, क्योंकि इस प्रदर्शन को लोग दादियों और महिलाओं का प्रदर्शन बता रहे हैं, जबकि बातचीत के वक़्त बेहद पढ़ी लिखी लडकियां बात करने आ जाती हैं, जो सड़क खाली करने के बिल्कुल खिलाफ बोलती हैं. ऐसे में वार्ताकार बात किससे करे ये उनको समझ नहीं आ रहा है.