‘ख्यालों की तस्करी’ सच में ख्यालों की तस्करी ही कर रहा है (पुस्तक समिक्षा )

श्यामल कुमार त्रिपाठी

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कोई आपका सच्चा साथी है तो वह किताबें है। वह साहित्य की हो सकती है या कविताओं की या फिर कोई उपन्यास। किताब पढ़ना यानि की जीवन को शांत और सुचारू करने जैसा है। ऐसे ही मुझे भी किताब पढ़ने का बहुत शौक है। अनायास एक दिन पुस्तकों की दुकान में जब मैं घुसा तो मेरे सामने ‘ख्यालों की तस्करी’ नामक कविता संग्रह मेरे हाथ लग गई। जब किताब के पन्नों को पलटना शुरू किया तो पता चला कि इस बुक को एक नहीं पांच-पांच लेखकों ने अपनी लेखनी से ख्यालों की तस्करी की है। लेखकों के बारे में जब पढ़ने लगा तब पता चला कि यह सारे लेखक नये-नये युवा हैं। अच्छा लगा यह जानकर कि आज के समय में भी इन नये युवाओं का मन साहित्य की तरफ लिखने की परंपरा को स्वीकारने की है। लेखकों में रिम्पी भमरा, शिवानी तंवर, सुधांशु सिंघल, हेली उपाध्याय और कार्तिक ठुकराल इन्होंने अपनी कविताओं से मन को बांधने का एक अच्छा प्रयास किया है। इसमें लेखक कार्तिक ठुकराल को तो मैं व्यक्तिगत तौर पर भी जानता हूं। बड़ी दिलचस्प बात यह है कि रिम्पी भमरा की योग्यता एमए हिंदी है वहीं शिवानी तंवर दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक के साथ मास्टर की पढ़ाई पूरी की है। वहीं सुधांशु सिंघल एक गुणवत्ता इंजीनियर के रूप में कार्यरत है। मजेदार बात यह है कि हेली उपाध्याय भी इंजीनियर की छात्रा हैं और कार्तिक ठुकराल एमिटी से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। पुस्तक समीक्षा में लेखकों के बारे में लिखना मैंने इसलिए जरूरी समझा कि रिम्पी भमरा जो एमए हिन्दी से हैं को छोड़कर बाकी कोई भी लेखक साहित्य या हिंदी से सम्बन्ध नहीं रखता बावजूद इसके अपने लिखने की चाहत को आगे बढ़ाते हुए इन सबने बहुत ही अच्छी कविताओं का लेखन किया है। रिम्पी भमरा की ‘मेरी जिंदगी की किताब’ बहुत अच्छी लगी। यूं तो सारे लेखकों की कविताएं बहुत ही अच्छी हैं। जो एक के बाद दूसरे को पढ़ने के लिए बाध्य कर रही हैं। शिवानी तंवर की ये कैसी आजादी है ये काफी दिलचस्प है। कार्तिक ठुकराल जो अभी स्नातक कर रहे हैं उनकी कविताओं में ‘लेखक’ बहुत ही अच्छी और रोचक कविता दिखी साथ ही ‘पापा’ ‘छुट्टे’, ‘इंसान’, ‘मयखाना’, ‘भारतीय फौलाद, देश की औलाद’, और ‘समुद्र’ जैसी कविताएं बेहद आकर्षक और पठनीय है। मैं इन सभी युवा लेखकों को ‘ख्वाबों की तस्करी’ के लिए बधाई देता हूं और उनके लेखन की क्षमता की तारीफ करता हूं। यह जानकर अच्छा लगता है कि हमारे युवा साहित्य की तरफ अब भी बहुत अच्छी नीयत से अग्रसर है। खासकर कार्तिक ठुकराल को बेहद शुभकामना और ईश्वर से यह प्रार्थना कि यूं ये युवा लेखक अपनी लेखनी से हम सबको अभिसिंचित करते रहें।

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