चीन में नए साल की छुट्टियाँ ख़त्म हो गई हैं। लोग काम के लिए दफ्तरों में जुट रहे हैं। ऐसे में कोरोना वायरस को लेकर भयावह आँकड़े आ रहे हैं। अब तक 1360 लोगों के मौत की ख़बर है। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के कुल 60,000 मामले आ चुके हैं। इनमें से 48,000 मरीज चीन के हुबेई में ही हैं। सबसे भयावह बात ये है कि अब तक इसका इलाज मार्केट में नहीं आया है। हालाँकि, डब्ल्यूएचओ मानता है कि वायरस का ऐसा व्यवहार नहीं दिख रहा कि वो आक्रामक होकर सेंट्रल चीन के हुबेई से निकल कर दूर-दूर तक फैले, जो कि एक राहत देने वाली बात है। हुबेई में एक ही दिन में 242 मौतें हुईं है।
कोरोना वायरस से चीन के शिनजियांग प्रान्त में डर का माहौल है। ये वही क्षेत्र है, जहाँ क़रीब 20 लाख उइगर मुसलमानों को विभिन्न प्रताड़ना कैम्पों में बंद कर के रखा गया है। भले ही कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित इलाक़े वहाँ से दूर हों, लेकिन चीन के इस उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में भी अब तक 55 मामले सामने आ चुके हैं। उइगर कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर एक बार किसी कैम्प में कोरोना वायरस फ़ैल गया तो फिर इसका रुकना असंभव है। कई एनजीओ और विशेषज्ञ पता लगाने में जुटे हैं कि इन कैम्पों के भीतर कोरोना वायरस को रोकने के लिए क्या व्यवस्थाएँ हैं लेकिन किसी को भी कोई पुष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही।
चीन कहता है कि ये कैम्प ‘वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर’ हैं, जो आतंकवाद और आतंकी व जिहादी विचारधारा को रोकने के लिए बनाए गए हैं। एक उइगर मानवाधिकार कार्यकर्ता ने बताया कि कैम्पों के भीतर खाने के लिए अच्छा भोजन मिलना ही दूर की बात है, तो इसकी उम्मीद ही नहीं है कि नज़रबंद लोगों को मास्क दिए गए होंगे। चेंज डॉट कॉम पर हज़ारों लोगों ने एक माँग पत्र पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें कोरोना के कारण इन कैम्पों को तुरंत बंद किए जाने की बात कही गई है। ‘वायरस थ्रेट इन द कैम्पस’ नामक सोशल मीडिया ट्रेंड चला कर WHO से माँग की है कि वो एक प्रतिनिधिमंडल वहाँ भेजे।
Members of China’s Uighur minority living in exile are sounding the alarm over the risk of the coronavirus spreading in camps inside the country, where NGOs say hundreds of thousands of people have been rounded up by Beijing http://u.afp.com/33ig
इस याचिका में पूछा गया है कि क्या हम उस वक्त का इंतजार कर रहे हैं, जब इन कैम्पों में कोरोना वायरस फैलेगा और कुछ ही पलों में हज़ारों मुसलमान काल के गाल में समा जाएँगे? आशंका जताई गई है कि अगर एक बार वुहान क्षेत्र से निकल कर वायरस का प्रभाव वहाँ तक पहुँचा तो फिर तबाही आ सकती है। ‘वर्ल्ड उइगर कॉन्ग्रेस’ का भी कहना है कि अगर समय पर एक्शन नहीं लिया गया तो हज़ारों मुसलमान इसके शिकार बन जाएँगे। उनका कहना है कि चीनी अधिकारियों के ढुलमुल रवैये और नज़रअंदाज़ी के कारण ये लोग कोरोना से प्रभावित होने की आशंका से घिरे हैं।
उइगर कैम्पों में कुपोषण जोरों पर है। मुसलमानों के शरीर के अंग निकाल के बेच डाले जाते हैं। यौन शोषण के कई मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में लोगों के वायरस से प्रभावित होने की ज्यादा सम्भावना रहती है। अब देखना ये है कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं की चिंता का चीन कोई हल निकालता है या नहीं।