लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार शहरी संपत्तियों को यूनिक आइडी नंबर देने जा रही है। इसकी मदद से एक क्लिक में किसी भी शहरी संपत्ति का पूरा ब्योरा मिल जाएगा। योगी सरकार ने अर्बन प्रॉपर्टी ओनरशिप रिकॉर्ड (यूपीओआर) की व्यवस्था यूपी में लागू करने के लिए उच्चाधिकार समिति का गठन कर दिया है। यह समिति नगर पालिका, वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष राकेश गर्ग की अध्यक्षता में गठित की गई है। इसमें सह अध्यक्ष उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष प्रवीर कुमार होंगे।
इस समिति में अध्यक्ष व सह-अध्यक्ष सहित कुल नौ सदस्य हैं। इसमें जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया लखनऊ के निदेशक, रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर लखनऊ के निदेशक, मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव कर एवं निबंधन विभाग, अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव राजस्व विभाग के साथ ही संबंधित नगर निगम/विकास प्राधिकरण के आयुक्त/उपाध्यक्ष सदस्य बनाए गए हैं। इसमें नगरीय निकाय निदेशक संयोजक सदस्य होंगे। यह समिति विभिन्न राज्यों में इस दिशा में हुए कार्यों का अध्ययन कर इसे प्रदेश में लागू करने के लिए सुझाव व संस्तुति देगी।
इसमें अवकाश प्राप्त आइएएस अफसर प्रवीर कुमार को इसलिए रखा गया है, क्योंकि उन्होंने राजस्व परिषद में तैनाती के दौरान यूपी की भूमि को यूनिक आइडी नंबर दिया था। अब इसी तरह का नंबर शहरी संपत्तियों को देने की तैयारी है। समिति गठन का आदेश प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह ने जारी किया है। इसमें कहा गया है कि यह समिति प्रदेश के सभी विभागों से समन्वय कर प्रदेश के नगरीय निकायों में अर्बन प्रॉपटी ओनरशिप रिकॉर्ड के संबंध में अधिनियम व नियमों में परिवर्तन करने के साथ ही नए प्रावधानों के संबंध में संस्तुति सरकार को देगी।
बेनामी संपत्तियों की भी हो सकेगी पहचान
इससे ‘बेनामी’ संपत्तियों की भी पहचान हो सकेगी। साथ ही नगरीय निकायों का हाउस टैक्स भी बढ़ेगा। वर्तमान में ज्यादातर नगर निगमों के पास अपनी सीमा के भीतर संपत्ति के स्वामित्व का डेटा ही नहीं है। यह अक्सर कानूनी विवादों का कारण भी बनता है। ऐसे में यूपीओआर लागू होने से शहरी संपत्तियों का विवाद सुलझाने में आसानी हो जाएगी। संपत्तियों का म्युटेशन भी आसान हो जाएगा।