नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में लगातार हो रहे विरोध-प्रदर्शनों में बिहार, झारखंड और केरल के बड़े-बड़े मुस्लिम संगठन शामिल हैं. इन संगठनों से जुड़े युवा बड़ी संख्या में दिल्ली में आए हैं और यहां अलग-अलग जगहों पर जाकर लोगों को हिंसक प्रदर्शन के लिए भड़का रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने यह जानकारी दी.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में हो विरोध प्रदर्शनों के पीछे बिहार, झारखण्ड और केरल के बड़े मुस्लिम संगठन हैं. इन्हीं संगठनों ने लड़कों के ग्रुप बनाए हैं, जो दिल्ली की तमाम जगहों पर जाकर लोगों को भड़काते हैं. तुर्कमान गेट, खुरेजी, निज़ामुद्दीन, जामिया, शाहीन बाग, सदर बाजार जैसी तमाम जगहों पर हो रहे विरोध-प्रदर्शनों के पीछे इनका हाथ है.
PFI कर रही फंडिंग
सूत्रों के हवाले से एक खबर यह है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़ी संबंधित संस्थाओं के बैंक अकाउंट से देश में चल रहे सीएए आंदोलन के लिए पैसे दिए गए. जब-जब CAA के खिलाफ प्रदर्शनों ने हिंसक रूप लिया तब-तब PFI से जुड़े खातों में बड़ी राशि जमा हुई.
इस खुलासे में यह बात भी सामने आई है कि पीएफआई को पश्चिमी उत्तर प्रदेश से फिंडिंग हुई है. बता दें कि यह संगठन यूपी समेत 7 राज्यों में सक्रिय है. यह संगठन 2010 से ही सक्रिय है और माहौल खराब करने की कोशिश करता रहा है. गौरतलब है कि यूपी की सरकार इस संगठन को बैन करने के लिए गृह मंत्रालय को पहले ही चिट्ठी लिख चुकी है.
पीएफआई के 22 सदस्य गिरफ्तार
पीएफआई के कई सदस्य पूर्व में प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी (SIMI) के सदस्य रहे हैं. यूपी सरकार ने दावा किया था कि नागरिकता कानून के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों में पीएफआई के 22 सदस्य गिरफ्तार किए गए.
भड़काऊ सामग्री बरामद
पुलिस जांच में सामने आया था कि 19 दिसंबर को किए गए हिंसक प्रदर्शनों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ था. पुलिस ने इन लोगों के पास से भारी मात्रा में भड़काऊ सामग्री बरामद की थी. इसके साथ ही पीएफआई की एक अन्य शाखा सोशलिस्ट डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) भी पुलिस के रडार पर है.
इस्लामिक कट्टरता को बढ़ाने के भी लगते रहे हैं आरोप
पीएफआई खुद को एक गैर सरकारी संगठन बताता है. इस संगठन पर कई गैर-कानून गतिविधियों में पहले भी शामिल रहने का आरोप है. गृह मंत्रालय ने 2017 में कहा था कि इस संगठन के लोगों के संबंध जिहादी आतंकियों से हैं, साथ ही इस पर इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा देने का आरोप है. पीएफआई ने खुद पर लगे इन सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया था, लेकिन अकसर इस संगठन को लेकर विवाद होता रहा है.