नई दिल्ली। बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने कहा कि अदनान का जन्म 1971 में लंदन में हुआ. उनका ज्यादातर वक्त लंदन में गुजरा है. अदनान की मां जम्मू की हैं. क्या कांग्रेस जम्मू के लोगों का ऐसे आदर करती हैं. यही नहीं अदनान के पिता की किताब का लॉन्च उस समय प्रधानमंत्री रहे आईके गुजराल ने किया था. उस समय कांग्रेस के कई नेता वहां मौजूद थे. क्या किताब के लिए पाकिस्तान में कोई नहीं मिला था. 2009 में उनकी मौत हुई थी तो अंतिम संस्कार में भी कांग्रेस ने मदद की. किताब की रिलीज में भी मदद की. मदद करना अच्छी बात है, लेकिन हमने पद्म सम्मान दे दिया तो अपराध कर दिया. मुसलमानों के साथ न्याय हो रहा है तो आपको मुश्किल हो रही है.
बता दें कि अदनान सामी (Adnan Sami) को पद्मश्री (Padam Shri)देने को लेकर मनसे और कांग्रेस ने विरोध किया है. सबसे पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने विरोध किया और अब कांग्रेस भी सरकार पर सवाल उठा रही है. पार्टी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने सवाल पूछा है कि ऐसा क्यों हुआ कि करगिल युद्ध में शामिल हुए सैनिक सनाउल्लाह को ‘घुसपैठिया’ घोषित कर दिया गया, और पाक वायुसेना के अफसर के बेटे को सम्मान दिया जा रहा है? अदनान के पिता अरशद ने पाकिस्तानी वायुसेना में रहकर भारत के खिलाफ जंग में भाग लिया था.
अदनान ने भी किया है ट्वीट
इसे लेकर अब अदनान सामी ने भी ट्वीट कर विरोधियों पर पलटवार किया है. अदनान ने कहा कि पिता की गलतियों की सजा बेटे को नहीं दी जा सकती. किसी कानून में ये नहीं लिखा है.
Hey kid, did you get ur brain from a ‘Clearance Sale’ or from a second hand novelty store?
Did they teach u in Berkley that a son is to be held accountable or penalised for the acts of his parents? And ur a lawyer?
Is that what u learned in law school? Good luck with that!https://t.co/s1mgusEdDr— Adnan Sami (@AdnanSamiLive) January 26, 2020
ये कहकर कर रहे हैं विरोध
भारत के राजनीतिक दल सिर्फ पाकिस्तानी कलाकार होने की वजह से अदनान सामी का विरोध नहीं हो रहा है. इस विरोध की वजह अदनान का परिवार और उनके पिता अरशद सामी भी हैं. गायक को लेकर हो रहे विरोध में 1965 की लड़ाई का जिक्र भी आ रहा है. दरअसल, अरशद सामी खान पाकिस्तानी वायुसेना में पायलट थे. उन्होंने 1965 की भारत-पाकिस्तान जंग में हिस्सा लिया था. इसके लिए अरशद को बेस्ट फाइटर पायलट की ट्रॉफी से नवाजा गया था. बहादुरी के लिए ‘सितारा-ए-जुरत’ पुरस्कार मिला था. अरशद सामी बाद में पाकिस्तान में विदेश सेवा से जुड़ गए थे. वह पाकिस्तान के 3 राष्ट्रपतियों के एडीसी भी रहे थे. 2009 में मृत्यु के बाद पाकिस्तान ने उन्हें 21 तोपों की सलामी दी थी. मृत्यु के बाद अरशद सामी को पाकिस्तान ने सितारा-ए-इम्तियाज़ से नवाजा था.