नई दिल्ली। शाहीन बाग़ विरोध प्रदर्शन के मुख्य साज़िशकर्ता शरजील इमाम ने प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मुस्लिमों को सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ जनता को अपने हिसाब से सब कुछ बताना चाहिए। उसने कहा कि जनता अभी चौथे गियर में है और वो सब कुछ सुन रही है। उसने कहा कि आज वो इंदिरा गाँधी और कॉन्ग्रेस के विरोध में बोलता है तो लोग उसे सुनते हैं, जो आज से कुछ दिन पहले संभव नहीं था। उसने कहा कि बात सीएए की नहीं है बल्कि लम्बे समय से हो रहे धोखे की कहानी है, 70 साल की। उसने कहा कि इंटरनेट आ गया है, इसीलिए, ‘जुल्म’ बढ़ेगा तो रिएक्शन भी ज़्यादा होगा।
उसने पुलिस और सेना पर कश्मीर से लेकर जामिया तक के साथ बर्बरता करने का आरोप लगाया। उसने कहा कि सीएए के बहाने जम्मू सहित अन्य जगहों पर सशस्त्र बलों की ‘बर्बरता’ की बात की जाए। उसने मुस्लिमों को वीडियो बना कर और पर्चे लिख कर लोगों को भड़काने की अपील की। उसने जामिया और अलीगढ़ के हज़ारों लड़कों को ये ‘जिम्मेदारी’ निभाने को कहा। उसका पूरा ज़ोर जनता को भड़काने पर था। उसने स्पष्ट कहा कि जो राष्ट्रवाद की बात करता है, वो मुसलमानों का दुश्मन है।
शाहीन बाग़ के मुख्य साज़िशकर्ता ने कहा कि राष्ट्रवाद की बात करने वाले मुस्लिमों को ‘बूत की पूजा’ करने को मजबूर करते हैं। उसने आरोप लगाया कि न्यायपालिका आज़ादी से पहले कम पक्षपाती थी, जो दिखाता है कि मुस्लिमों को आज़ादी नहीं मिली बल्कि एक दुश्मन क़ौम उन पर हावी हो गई। उसने कहा कि अँग्रेज मुसलमानों के कम दुश्मन थे, लेकिन न्यायपालिका 1950 के बाद से मुसलमानों की दुश्मन है। उसने कहा कि 1900 से लेकर 1950 तक अँग्रेजों ने मुस्लिमों के साथ कम पक्षपात किया। उसने कहा कि 1950 के बाद मुस्लिमों को एक तरह की ग़ुलामी में डाल दिया गया।
शरजील इमाम ने कहा कि संविधान के लागू होने के बाद से मुस्लिमों की परेशानी बढ़ गई है। उसने कहा कि ‘आज़ादी’ की बात मुसलमानों को नहीं करनी चाहिए। उसने आगे की योजना की बात करते हुए कहा कि मुसलमानों का एक ऐसा बुद्धिजीवी सेल होना चाहिए, जो गाँधी और राष्ट्र की बातें न करे। उसने आरोप लगाया कि महात्मा गाँधी ने ‘राम राज्य’ की बात कर के कॉन्ग्रेस को ‘हिन्दू पार्टी’ बना दिया। वो यहीं नहीं रूका। महात्मा गाँधी को 20वीं सदी का सबसे बड़ा फासिस्ट नेता तक कह डाला। उसने कहा कि जिन्ना और गोखले नरम राष्ट्रवादी थे।