बीते कुछ दिनों से बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का नाम सुर्ख़ियों में बना हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह उनकी फ़िल्म ‘छपाक’ है, जिसमें उन्होंने एसिड सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के किरदार को निभाया। यह फ़िल्म एक 15 साल की नाबालिग बच्ची लक्ष्मी अग्रवाल पर हुए एसिड हमले से जुड़े एक दर्दनाक हादसे पर आधारित है, जिसका किरदार निभाकर दीपिका पादुकोण समाज को यह संदेश देना चाहती थीं कि एसिड हमले की शिकार महिलाओं को अपने जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए और उन्हें हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए।
इतने गंभीर विषय पर फ़िल्म बनना निश्चचित तौर पर एक साहसिक काम है। साथ ही एसिड हमले की शिकार पीड़िता के किरदार को उसी गंभीरता से निभा ले जाना उससे भी बड़ी बात है। एक आम नागरिक होने के नाते मुझे यह बात जितनी अच्छी और न्यायसंगत लगती है, उतनी शायद छपाक फ़िल्म की हिरोइन दीपिका पादुकोण को नहीं लगती। इसकी वजह यह है कि सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो बड़ी तेज़ी से अपनी पहुँच बढ़ा रहा है। इस वीडियो में दीपिका पादुकोण अपनी एक साथी फेबी जोकि पेशे से मेकअप आर्टिस्ट हैं, उनके साथ एक मैकअप चैलेंज गेम खेलती नज़र आ रही हैं। इसमें दीपिका अपनी तीन फ़िल्मों का ज़िक्र करती हैं, जिनमें उनके द्वारा निभाए किरदार का मेकअप करके फेबी उस किरदार पर चुटकी लेती हैं।
And just when we thought that @deepikapadukone couldn’t mock Lakshmi anymore through her PR stunts in JNU she comes up with tick tok challenge on acid attack victims. Gross. pic.twitter.com/077Uz7hcEg
— Smoking Skills (@SmokingSkills_) January 18, 2020
इनमें दीपिका अभिनीत फ़िल्म- ओम शांति ओम, पीकू और छपाक शामिल हैं। एक-एक कर दीपिका की साथी फेबी फ़िल्म के किरदारों का मेकअप करती नज़र आती है। इसमें ग़ौर करने वाली बात यह है कि जब फ़िल्म छपाक के किरदार यानी कि एसिड हमले की शिकार लक्ष्मी अग्रवाल की बारी आती है तो फेबी अधजले चेहरे का मेकअप करती है, जो बेहद शर्मनाक़ है।
https://twitter.com/pokershash/status/1218466761999147010
इस वीडियो को देखकर शायद ही किसी के मन में यह सवाल नहीं उठेगा कि फ़िल्म ‘छपाक’ में एसिड हमले की शिकार हुई जिस लक्ष्मी अग्रवाल का किरदार दीपिका ने निभाया, उसे उन्होंने गंभीरता से लिया भी होगा या नहीं?
Dear @deepikapadukone are you mad or out of your mind?? When cheap publicity stunts like JNU visit did not work to promote the film, you fell so low that you brought ‛Acid Attacked Face Challenge’ on Tik Tok. Disgusting! pic.twitter.com/S9nDUkJu0F
— Pooja Sangwan ❁ (@ThePerilousGirl) January 18, 2020
वायरल हुए इस वीडियो में दीपिका के हँसी के ठहाके देखकर तो ऐसा बिल्कुल नहीं लगता, इससे तो ऐसा ही लगता है कि लक्ष्मी अग्रवाल का दर्द दीपिका के लिए सिर्फ़ पर्दे तक ही सीमित था। टिक-टॉक पर बने इस वीडियो की सच्चाई यह है कि फ़िल्मी दुनिया की दीपिका पर्दे पर कुछ और होती हैं और असल ज़िंदगी में कुछ और। अपनी असल ज़िंदगी में वो एसिड हमले की शिकार महिलाओं का मखौल उड़ा कर खीसे निपोरती हैं।
https://twitter.com/shradxy/status/1218471277708505089
कहने को तो यह फ़िल्म एक सामाजिक संदेश को लेकर सामने आई थी, लेकिन फ़िल्म की हीरोइन ख़ुद सोशल मीडिया पर जो सामाजिक संदेश देती नज़र आ रही हैं, वो उनके दिखावटी चेहरे को बड़े ही स्पष्ट तरीक़े से उजागर करता है। इस बनावटी चेहरे को लेकर वो न जाने कितने स्टंट करती नज़र आईं। सोशल कॉज़ की आड़ में फ़िल्म के प्रमोशन का दाँव खेलते हुए JNU हिंसा में उन वामपंथियों की साइड में जाकर भी खड़ी हो गईं, जिनके ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए गए थे।
Honestly expected @deepikapadukone who has been through her own mental breakdowns to be more sensitive. But clearly..no.
You do a movie on a acid attack victim, cry in every other promotional event n now this below the belt challenge where a acid attack face is her fav! https://twitter.com/SmokingSkills_/status/1218447215372328960 …CA Smokiee@SmokingSkills_And just when we thought that @deepikapadukone couldn’t mock Lakshmi anymore through her PR stunts in JNU she comes up with tick tok challenge on acid attack victims. Gross.
मेरी दिली ख़्वाहिश है कि कोई दीपिका पादुकोण को यह ज़रूर बताए कि फ़िल्मी दुनिया के रुपहले पर्दे पर किसी विक्टिम के किरदार को निभाने में और उसे जीने में फ़र्क़ होता है। बेहतर तो यह होता कि लक्ष्मी जैसी पीड़िताओं के दर्द को महसूस कर दीपिका उन्हें आगे बढ़ने का हौसला देतींं। लेकिन, उनसे यह उम्मीद भला कैसे की जा सकती है, क्योंकि फ़िल्म निर्देशकों ने तो एसिड सर्वाइवर लक्ष्मी का केस लड़ने वाली वकील अपर्णा भट्ट को ही क्रेडिट नहीं दिया और मामला कोर्ट की चौखट तक जा पहुँचा।
कहने को तो यह फ़िल्म सोशल कॉज़ पर बनी थी, लेकिन असल ज़िंदगी में न फ़िल्म निर्माता से लेकर हिरोइन तक का सोशल कॉज से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। दीपिका पादुकोण को इस बात का अंदाज़ा भी नहीं है कि जब किसी पर एसिड अटैक होता है तो उसका दर्द भयावह होता है। शरीर के अंगों पर गिरा एसिड न सिर्फ़ उनके शरीर को झुलसाता बल्कि उनके मन, उनके जीने की चाह, भविष्य से जुड़े सपनों तक को भी झुलसा देता है। दीपिका पादुकोण इस बात से बिल्कुल बेख़बर हैं कि खीसे निपोरता उनका यह वीडियो न जाने कितनी एसिड सर्वाइवर्स के चेहरे की हँसी को एक झटके में छीन लेगा और उन्हें ग़म में बदल देगा।