नई दिल्ली। सर्जिकल स्ट्राइक के दो वर्ष पूरे होने के मौके पर पूर्व आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने रहस्योद्घाटन करते हुए कहा कि 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी जून 2015 में ही शुरू हो गई थी. इसके साथ ही यह भी जोड़ा कि इस ऑपरेशन में हर हालत में हमें सफल होना था क्योंकि विफलता का विकल्प ही नहीं था.
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए जनरल सुहाग ने शनिवार को बताया कि किस तरह इस ऑपरेशन की योजना बनाई गई और इसका क्रियान्वयन हुआ. जनरल सुहाग ने कहा, ”जून, 2015 में म्यामांर में स्ट्राइक की सफलता के बाद मेरे दिमाग में यह बात घर कर गई थी कि देश के भीतर या पश्चिमी बॉर्डर पर या जम्मू-कश्मीर में कोई बड़ी घटना होने पर सरकार और लोग पाकिस्तान के खिलाफ इस तरह के स्ट्राइक की उम्मीद कर सकते हैं. इसलिए उस ऑपरेशन के तत्काल मैंने अपने हेडक्वार्टर को आदेश दिए. उसके बाद जून अंत या जुलाई 2015 में जब नॉर्थर्न कमांडर के हेडक्वार्टर गया तो वहां मैंने पाकिस्तान के खिलाफ तत्काल प्रभाव से सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारियों के आदेश दिए. उसके बाद से ही इसकी तैयारियां शुरू हुईं. पैरा-कमांडो टीम और इस ऑपरेशन में इस्तेमाल किए गए उपकरणों की तैयारियां और ट्रेनिंग का उसी वक्त से शुरू किया गया.”
‘फेल होने का विकल्प नहीं था’
इस स्ट्राइक के संबंध में अपनी चिंताओं के बारे में पूर्व आर्मी चीफ जनरल सुहाग ने कहा कि उन्होंने अपनी टीम को स्पष्ट निर्देश दिया था कि हताहत होने की स्थिति में पीछे कुछ भी नहीं छोड़ना है. उन्होंने कहा, ”मेरी दो चिंताएं थीं- पहली, ऑपरेशन सफल होना चाहिए क्योंकि फेल होने का विकल्प ही नहीं है. दूसरा- किसी भी तरह का कोई भी नुकसान नहीं होना चाहिए. मेरा साफ निर्देश था कि यदि कोई हताहत होता है तो उसे किसी भी कीमत पर वापस लाना है.”
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पीएम मोदी की सराहना
पूर्व आर्मी चीफ जनरल सुहाग ने इस ऑपरेशन का श्रेय दो लोगों को दिया. उन्होंने कहा, ”पहला-मैं पीएम मोदी को पूर्ण विचार-विमर्श के बाद राजनीतिक सहमति देने के लिए श्रेय देना चाहता हूं क्योंकि ये एक साहसिक निर्णय था. मैंने प्रधानमंत्री को 23 सितंबर, 2016 को ब्रीफ किया था. दूसरा, मैं अपने सहयोगियों को श्रेय देना चाहूंगा, उन बहादुर अफसरों और जवानों को जिन्होंने सफलतापूर्वक स्ट्राइक को अंजाम दिया और जिससे देश को गौरव की अनुभूति हुई.”
जब जनरल सुहाग से पूछा गया कि क्या भविष्य में दोबारा सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया जा सकता है तो उन्होंने कहा, ”क्यों नहीं, आखिर हमने अपनी क्षमता दिखा दी है. हमारी सेना का भी हौसला बढ़ा है और जब इसे एक बार अंजाम दिया जा चुका है तो वे आश्वस्त हैं कि इसे दोबारा भी अंजाम दिया जा सकता है और यदि जरूरी हुआ तो इसे बारंबार किया जा सकता है.”