राहुल कुमार गुप्त
यूपीटेट-2019 का पेपर होने के बाद से कई कोचिंग संस्थानों और अभ्यर्थियों ने अपने कयास लगाने शुरू कर दिये थे कि प्रश्नपत्र में आये कुछ विवादित प्रश्न कटआफ के नजदीक रहने वाले अभ्यर्थियों को निराश कर सकते हैं लेकिन इन्हें विभाग के हाक़िम पर विश्वास भी है कि वो अभ्यर्थियों के साथ न्याय होने देंगे। अभ्यर्थियों से 17 जनवरी तक आपत्तियाँ माँगी गयी हैं।
इस बार एक प्रश्न की आपत्ति पर 500 रुपये रखा गया है जो आपत्ति सही होने पर वापस हो जायेंगे। किन्तु गरीब अभ्यर्थियों की सही आपत्तियाँ कैसे पहुँचेंगी। इस वजह से गरीब अभ्यर्थियों के माथे पर चिंता की भी लकीरें खिंची हुईं हैं। किन्तु आयोग से उम्मीद है कि वह सबके साथ न्यायोचित व्यवहार करेगा। अभ्यर्थियों के अनुसार इस बार कम आपत्तियाँ पहुँचेंगी और इस पर बोर्ड क्या रुख दिखाता है यह संशोधित उत्तर कुंजी या परिणाम आने के बाद ही पता चल पायेगा।
कई अभ्यर्थियों के अनुसार प्राथमिक स्तर की परीक्षा में कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनके या तो उत्तर गलत हैं या फिर एक से अधिक सही उत्तर हैं या फिर उन्हें प्रश्नों की श्रेणी से हटाने लायक हैं। अधिकारिक उत्तरकुंजी जारी होने के बाद जिन प्रश्नों पर अभ्यर्थियों को आपत्ति है वो निम्नवत् हैं। प्राथमिक स्तर की परीक्षा प्रश्नपत्र की ‘बी’ सीरीज के भाग-2 का भाषा-1 हिंदी का 55 वें प्रश्न में चार विकल्पों में एक पुल्लिंग पूछा गया है जबकि दिये गये चारों विकल्प ही (संतान, कढ़ी, चील और सरसों) स्त्रीलिंग है जिसमें आयोग ने एक स्त्रीलिंग -संतान को पुल्लिंग माने हुए है। अभ्यर्थियों ने बताया व दिखाया कि डाॅ. प्रथ्वीनाथ पांडेय जी की पुस्तक नालंदा सामान्य हिंदी व डाॅ. वासुदेवनंदन प्रसाद जी की व हिंदी की अन्य मानक पुस्तकों में चारों विकल्प ही स्त्रीलिंग हैं।
भाग-5 पर्यावरण अध्ययन का 124 वाँ प्रश्न ‘अनुच्छेद-356 का प्रथम प्रयोग कब और कहाँ हुआ?’ का सही उत्तर पंजाब (पेप्सू) है किन्तु विकल्प में यह उत्तर नदारद रहा। कई अभ्यर्थियों ने कहा कि अगर प्रश्न पूछने का तरीका कुछ इस तरह होता कि निम्न में किन राज्यों में अनुच्छेद-356 का प्रथम प्रयोग हुआ तब आयोग द्वारा जारी किया गया उत्तर केरल सर्वथा सही होता। अभ्यर्थियों द्वारा इस प्रश्न को भी हटाने की माँग की जा रही है।
129 वाँ प्रश्न ‘मानसूनी वन पाये जाते हैं जहाँ वर्षा होती है’ का सही उत्तर भूगोल की कई मानक पुस्तकों में व एससीईआरटी की पुस्तक में 100सेमी-200सेमी दिये है किन्तु एनसीईआरटी की पुस्तक में 70-200सेमी दिये है जिसे आयोग ने सही माना है।अभ्यर्थी इस प्रश्न पर भी एससीईआरटी की पुस्तक से साक्ष्य लेकर आपत्ति भेजने को तैयार हैं।
139 वें, 144 वें और 150वें प्रश्न पर भी दो सही विकल्पों में एक ही विकल्प को आयोग द्वारा सही चुना गया इनके लिये भी अभ्यर्थी आपत्ति दाखिल करने की तैयारी में हैं।
139वें प्रश्न में थारू जनजाति के निवास स्थान के बारे में पूछा गया और विकल्प में दो सही उत्तर देखकर अभ्यर्थी भ्रमित हुए। ‘उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों’ दोनों ही जगह यह जनजाति पायी जाती है। आयोग ने इसमें उत्तराखंड को ही सही माना है। कई अभ्यर्थी इस प्रश्न के लिये भी आपत्ति भेज रहे हैं।
इसी प्रकार 144वें प्रश्न ‘स्वतंत्र रूप से भूमि में रहने वाला अवायवीय जीवाणु जिसमें नाईट्रोजन स्थीरीकरण की क्षमता होती है’ वाले प्रश्न में भी दो सही विकल्पों को रखकर एक विकल्प को आयोग ने सही माना है। एजेटोबैक्टर व क्लाॅस्ट्रीडियम दोनों ही जीवाणु समान रूप से वही कार्य करते हैं। किन्तु आयोग ने क्लाॅस्ट्रीडियम को ही सही माना है। इस प्रश्न में भी अभ्यर्थी बहुत भ्रमित रहे।
इसी भाग का 150वाँ प्रश्न भी इसी प्रकार से भ्रमित किरा। एनसीईआरटी की 11वीं की पुस्तक ‘संविधान-एक जीवंत दस्तावेज’ में साफ-साफ उल्लिखित है की भारत का संविधान लचीला बनाया गया है। जबकि आयोग ने युनाईटेड किंगडम को ही सही माना है क्योंकि यहाँ का संविधान भी लचीला है।
इन दोनों प्रश्नों पर भी अभ्यर्थी साक्ष्य भेज रहे हैं। इस तरह के दो सही विकल्पों वाले कुछ प्रश्नों ने अभ्यर्थियों को काफी भ्रमित किया।
कुछ ही नंबरों से उत्तीर्ण होने में रुकने वाले अभ्यर्थियों के मन में ऊहापोह की स्थिति है जो परिणाम आने या संशोधित उत्तरकुंजी आने के बाद ही समाप्त होगी।