नई दिल्ली। जेएनयू में 5 जनवरी को छात्रों के साथ हुई बर्बरता के बाद JNUSU अध्यक्ष आइशी घोष लगातार मीडिया सुर्खियों में हैं। शुक्रवार को उन्होंने इसी संबंध में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और एचआरडी अधिकारी से मुलाकात भी। इस दौरान उन्होंने वीसी पर कई आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की माँग की थी। जबकि अधिकारी ने उनसे आंदोलन वापस लेने की अपील की थी। जिसके बाद, छात्रसंघ ने शनिवार को छात्रों से कहा था कि वो रजिस्ट्रेशन फीस भर दें। लेकिन छात्रावास की बढ़ी हुई फीस न भरें। ऐसे में जब छात्रों से प्रशासन ने पहले बकाया फीस को भरने को अनिवार्य बताया, तो छात्रसंघ फिर से वीसी पर हमलावर हो गया और तरह-तरह के आरोप लगाने लगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूनियन ने बताया कि उन्होंने शनिवार को विश्वविद्यालय के छात्रों से छात्रावास की बढ़ी फीस को छोड़कर पंजीकरण प्रक्रिया पूरा करने को कहा था। लेकिन, वीसी ने छात्रों के पंजीकरण को रोकने के लिए पहले फी पेमेंट पोर्टल को ब्लॉक किया और फिर ट्यूशन फीस की पेमेंट को रोका। साथ ही छात्रों को निर्देश दिए गए कि उन्हें पंजीकरण से पहले अपने फीस भरनी होगी।
इतना ही नहीं, छात्रसंघ ने कुलपति पर निशाना साधते हुए उनके आरोपों को भी खारिज किया। उन्होंने कहा कि वीसी द्वारा प्रदर्शनकारियों पर लगाए गए सभी आरोप झूठे हैं। जिनमें वो बता रहे हैं कि कुछ छात्र पंजीकरण करवाना चाहते हैं, लेकिन प्रदर्शनकारी उन्हें ऐसा नहीं करने नहीं दे रहे। संघ के अनुसार वीसी ने फर्जी जाँच करके 300 छात्रों के रजिस्ट्रेशन कैंसिल किए।
गौरतलब है कि शनिवार को इतना सब होने के बाद रविवार को छात्रसंघ का फिर बयान आया कि यदि प्रशासन शुल्क वृद्धि को निरस्त नहीं करता, तो अगले सेमेस्टर के लिए पंजीकरण का बहिष्कार जारी रहेगा।
हालाँकि, यूनिवर्सिटी के बिगड़े माहौल के बाद प्रशासन ने रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख को 15 जनवरी तक बढ़ा दिया है और बताया है कि अब तक 4,300 छात्र पंजीकरण करवा चुके हैं। लेकिन JNUSU का कहना है कि जब तक फीस वृद्धि को रद्द नहीं किया जाता और कुलपति जगदीश कुमार को उनके पद से नहीं हटाया जाता, तब तक किसी प्रकार का समझौता स्वीकार्य नहीं है।
बता दें, JNUSU का आरोप है कि रविवार को जब छात्र पंजीकरण प्रक्रिया पूरा करने गए, तो उन्हें कहा गया कि उन्हें पहले बढ़ी फीस जमा करानी होगी। जबकि कुछ अन्य को तो इस पंजीकरण प्रक्रिया से निष्काषित कर दिया गया। इस सूची में एक नाम जेएनएसयू के उपाध्यक्ष साकेत मून का भी बताया जा रहा है। जिनका रजिस्ट्रेशन, प्रोटेस्ट में शामिल होने का कारण खारिज किया गया।
मून ने वीसी पर हमला बोलते हुए कहा, “रजिस्ट्रेशन से पहले मुझसे सभी बकाया भरने की बात की जा रही है। जिससे साफ पता चलता है कि मुझे अकादमिक रूप से निष्काषित कर दिया गया है। हालाँकि, मुझे अब तक कोई नोटिस नहीं आया है। जिसका मतलब है कि वीसी पर खुले तौर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्णय की मुखालफत कर रहे हैं।”
बता दें छात्र संघ के साथ बैठक में मंत्रालय ने कहा था कि प्रशासन प्रदर्शन में शामिल हुए छात्रों के प्रति नरम रवैया रखेगा और उन्हें सजा नहीं देगा। इसके अलावा इस बैठक में एचआरडी के सचिव से मिलने के बाद जेएनयूएसयू आइशी घोष ने वीसी को तुरंत पद से हटाए जाने की माँग की थी। साथ ही कहा था, “वो विश्वविद्यालय को चलाने के लायक नहीं है। हमें ऐसा वीसी चाहिए जो नई शुरुआत कर सके और कैंपस में सामान्य माहौल बना पाए।”
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यूनिवर्सिटी ने छात्रों के रवैये पर स्पष्ट किया है कि फीस वृद्धि के साथ ही छात्रों को पंजीकरण करवाना होगा और जिन 300 छात्रों ने उपद्रव में भाग लिया, उन्हें पंजीकरण प्रक्रिया से निष्काषित किया जाएगा।