नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के विरोध में लगातार हो रहे हिंसक विरोध-प्रदर्शनों को कॉन्ग्रेस और कट्टरपंथी इस्लामिक समूहों द्वारा भड़काया जा रहा है। इनमें कुछ व्हाट्सअप ग्रुप भी शामिल हैं जो इन दंगों को हवा देने का काम कर रहे हैं। ऐसा ही एक व्हाट्सअप ग्रुप है जो मंडी हाउस से मार्च निकालने की योजना बना रहा था और फिर अंततः लाल किला रैली में शामिल हो गया।
दरअसल, यह व्हाट्सअप ग्रुप अपेक्षाकृत छोटा था, इनके बीच आपस में बातचीत हो रही थी कि वे कैसे मंडी हाउस या लाल किला “विरोध प्रदर्शन” तक पहुँचेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि धारा-144 लागू कर दी गई थी और कई मार्गों को दिल्ली पुलिस द्वारा बंद कर दिया गया था।
व्हाट्सअप ग्रुप के सदस्यों में से एक ने इस योजनाबद्ध बातचीत की पुष्टि के लिए स्क्रीनशॉट शेयर किया।
इस मैसेज में सबसे पहले पाठकों से ‘संदेश फैलाने’ के लिए कहा गया। इसमें कहा गया कि 19 दिसंबर को होने वाले विरोध-प्रदर्शन के लिए मौक़े पर एक क़ानूनी टीम मौजूद है। यह टीम प्रशांत भूषण की देख-रेख में काम करेगी और अगर किसी को हिरासत या क़ानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा, तो वे नीलेश नामक व्यक्ति (श्री नीलेश के नंबर पर लाल पट्टी का प्रयोग किया गया है।) से सम्पर्क कर सकते हैं।
बता दें कि नीलेश जैन स्वराज इंडिया के लीगल सेल से जुड़े एक वकील हैं।
इसके अलावा, DailyO के प्रोफ़ाइल से पता चलता है कि नीलेश जैन दिल्ली विश्वविद्यालय में मास्टर ऑफ़ लॉ के छात्र है। वो सामाजिक-राजनीतिक संगठन स्वराज अभियान के शोधकर्ता भी हैं, जो कि योगेंद्र यादव की पार्टी है।
जब हमने पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने का जोखिम उठाने वाले प्रदर्शनकारियों में से एक नीलेश जैन से बात की। नीलेश जैन ने कहा कि वो पहले 50 बंदियों के बैच के साथ है। इसके आगे नीलेश ने बताया कि अगर हमें हिरासत में लिया गया, तो हमें बस की संख्या और हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या पर ध्यान देना होगा और मदद के लिए उन्हें संदेश देना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि बंदियों की मदद के लिए वहाँ कई वकील मौजूद हैं और हमें किसी भी चीज की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
इस एनएसयूआई और कॉन्ग्रेस के पदाधिकारियों द्वारा चलाए जा रहे इस व्हाट्सअप ग्रुप के ज़रिए पूरे देश में अराजकता फैलाने का आह्वान किया गया था। इस व्हाट्सअप ग्रुप में एक ऋषव रंजन नामक व्यक्ति भी शामिल था जो स्वराज्य अभियान का सदस्य था।
स्वराज्य अभियान और प्रशांत भूषण दंगाईयों को क़ानूनी मदद उपलब्ध कराते हैं। इसका एकमात्र उद्देश्य यह है कि दंगाई किसी भी डर के चलते इन विरोध-प्रदर्शनों से भागकर कहीं न जाएँ। नागरिकता क़ानून के नाम पर देश में अराजकता फैलाने के लिए इन विरोध प्रदर्शनों को और जारी रखना स्वराज्य अभियान और प्रशांत भूषण जैसे लोगों का कुचक्र है।
इन सबसे एक बात तो साफ़ हो चली है कि इस पूरे हिंसात्मक घटनाक्रम को बढ़ावा देने में कॉन्ग्रेस, योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण जैसे तत्व संगठित होकर देश में अराजकता फैलाने के लिए अपनी पूरी ताक़त झोंक रखी है। इन विरोध-प्रदर्शनों में से मुस्लिम भीड़ को नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हिंसा, आगजनी और बर्बरता फैलाते देखा गया। इनका ग़ुस्सा पड़ोसी इस्लामिक राष्ट्रों से हिन्दुओं, बौद्धों, सिखों, जैनियों, पारसियों और यहाँ तक कि ईसाइयों जैसे अल्पसंख्यकों को सताया जाने वाली नागरिकता प्रदान करने पर था।
इन सबमें सबसे भयावह बात यह है कि नागरिकता क़ानून के विरोधी में खड़े दंगाई किस तरह से राजनीतिक पार्टियों के हाथ की कठपुतली बन गए और वो किस तरह से उनके बहकावे में आकर देशभर में हिंसात्मक विरोध-प्रदर्शनों को अंजाम दे रहे हैं, वो भी यह जाने बगैर की इस क़ानून में विरोध करने जैसी कोई बात है ही नहीं।