मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) की अनुशंसा पर राष्ट्रपति शासन लग चुका है, लेकिन सरकार बनाने के लिए राजनीतिक दलों के बीच बैठकों का दौर अभी भी जारी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की टीम राष्ट्रवादी कांग्रेस (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के मुंबई स्थित आवास पर पहुंचे हैं. महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिवसेना के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाया जाए या नहीं इसपर चर्चा के लिए कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं की टीम दिल्ली से मुंबई पहुंचे हैं. इस टीम में कांग्रेस के अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल और वाईबी चौहान शामिल हैं. सभी नेता शरद पवार (Sharad Pawar) के घर पर पहुंचे हैं.
उधर, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे भी अपने अपने निवास स्थान मातोश्री से निकले हैं. हालांकि ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये दोनों भी शरद पवार (Sharad Pawar) के आवास पर गए हैं या नहीं.
राष्ट्रपति शासन को कोर्ट में चुनौती
शिवसेना ने महाराष्ट्र (Maharashtra) के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. शिवसेना ने सरकार बनाने के लिए राज्यपाल द्वारा राकांपा व कांग्रेस से समर्थन पत्र लेने के लिए समय नहीं दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. शीर्ष कोर्ट की रजिस्ट्री को इस पर अभी प्रधान न्यायाधीश से मंजूरी मिलनी बाकी है, जिससे मामले को सूचीबद्ध किया जा सके. शिवसेना ने कहा कि राज्यपाल ने सरकार बनाने के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया है.
शिवसेना-एनसीपी के मंसूबे पर कांग्रेस ने फेरा पानी
सोमवार को शिवसेना और एनसीपी के बीच सरकार गठन को लेकर डील हो गई थी, लेकिन कांग्रेस की ओर से समर्थन पत्र सौंपा नहीं गया. इस वजह से सरकार गठन नहीं हो पाया. कांग्रेस वरिष्ठ नेताओं शिवराज पाटिल, सुशील कुमार शिंदे की ओर से आए बयान में कहा गया कि शिवसेना के साथ गठबंधन विचारधार के स्तर पर घातक सिद्ध हो सकता है. हालांकि दोनों नेताओं ने कहा कि यह उनकी निजी राय है. आखिरी फैसला कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को ही लेना है. कांग्रेस की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि फिलहाल गठबंधन का रास्ता बंद नहीं हुआ है. बातचीत का दौर जारी है.
वहीं एनसीपी के नेता अजित पवार ने भी मीडिया में कहा कि कांग्रेस अपने रुख को साफ नहीं कर रही है, इसलिए सरकार गठन अटका हुआ है. एनसीपी ने साफ कर दिया है कि वह ऐसी सरकार नहीं बनाना चाहते हैं जो तीन महीने में गिर जाए. सरकार की स्थिरता के लिए कांग्रेस का साथ आना जरूरी है.