कोलकाता। पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को नाखुशी जताई जब उत्तरी 24-परगना के जिला प्रशासन ने राजभवन को सूचना दी कि जिले के अधिकारियों, सांसदों और विधयकों से मिल पाना या उन्हें आमंत्रित कर पाना बिना राज्य सरकार की अनुमति के मुमकिन नहीं है। गर्वनर धनखड़ मंगलवार (22 अक्टूबर, 2019) को अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ उत्तरी 24-परगना के धमखाली में सुबह 8 बजे पहुँचे थे जहाँ वे प्रशासनिक अधिकारियों, स्थानीय सांसद, विधायक, और स्थानीय पंचायत नेताओं से मिल रहे थे।
धनखड़ ने पिछले हफ़्ते उत्तरी और दक्षिणी 24 परगना जिलों के जिला अधिकारियों, जिला मजिस्ट्रेटों और चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ धमखाली और सजनाखाली में बैठक करने की इच्छा जताई थी। लेकिन जिला प्रशासन ने सोमवार को उनके सचिव को इत्तला किया कि प्रतिनिधियों को आमंत्रित कर पाना बिना राज्य सरकार की अनुमति के संभव नहीं हो पाएगा।
जिला प्रशासन के पत्र में लिखा था, “दिनांक 10 अक्टूबर, 2019 के आपके पत्र के संदर्भ में, पश्चिम बंगाल के गवर्नर के सचिव महोदय, यह आपको सूचित करने के लिए है कि पश्चिम बंगाल सरकार की अनुमति की ज़रूरत होगी (undersigned को) आमंत्रितगणों (जन प्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों) को परस्पर संवाद के सत्र के लिए निमंत्रित करने हेतु, जो जिला परिषद हाउस, धमखाली, उत्तरी 24 परगना में होने के लिए निर्धारित किया गया है।” उसमें आगे लिखा था, “यहाँ यह भी जोड़ा जा सकता है कि सभी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी उत्तर बंगाल में 21 अक्टूबर से 23 अक्टूबर तक रहेंगे प्रशासनिक समीक्षा बैठकों के लिए, जो मुख्यमंत्री उत्तर बंगाल के कुछ जिलों के लिए करेंगी।”
जिले के अधिकारियों के हाजिर न होने से नाराज़ गवर्नर धनखड़ ने इसे ‘असंवैधानिक’ करार दिया है। “मैं नहीं समझ पा रहा कि उन्हें मुझसे मिलने के लिए राज्य सरकार की अनुमति की आवश्यकता क्यों है। मैं स्तब्ध हूँ। मुझे नहीं पता कि क्या बंगाल में किसी तरह की सेंसरशिप है।” राज्य सरकार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “कहते हुए अफ़सोस हो रहा है, लेकिन ऐसा लगता है कि वे फ़्रस्ट्रेट हो रहे हैं। उनके मुझसे मिलने से इंकार के बाद भी मैं जिलों का अपना दौरा जारी रखूँगा।”
धनखड़ और राज्य सरकार के बीच यह पहला टकराव नहीं है। 19 सितंबर, 2019 को गवर्नर को तृणमूल कॉन्ग्रेस की आलोचना का सामना करना पड़ा था जब वे भाजपा के सांसद और केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को बचाने जादवपुर विश्वविद्यालय पहुँचे थे, जहाँ ABVP के एक कार्यक्रम के दौरान उन पर हमला हो गया था। 24 सितंबर को सिलीगुड़ी में नए बने इंडियन चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के भवन का उद्घाटन के समय दार्जिलिंग में भी उन्होंने जब जिला प्रशासन के अधिकारियों और साँसदों-विधायकों से मिलने की इच्छा जताई थी तो अधिकांश ने ‘अपरिहार्य कारणों’ का हवाला देकर किनारा कर लिया था।