भारतीय मूल के अमेरिकी अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने 9 अक्टूबर को अमेरिका के ब्राउन यूनिवर्सिटी में एक सेमिनार के दौरान भारत की आर्थिक मंदी के लिए पुनः केन्द्रीयकरण को जिम्मेदार ठहराया था. अभिजीत बनर्जी ने मोदी सरकार को सुझाव देते हुए कहा था कि मनरेगा मजदूरी बढ़ाने, सरकारी संस्थानों को मजबूत बनाने, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) का हस्तक्षेप बंद करने से आर्थिक स्थिति सुधर सकती है. साथ ही उन्होंने राजनीति से प्रेरित निर्णयों को वापस लेने की सलाह दी थी.
अभिजीत बनर्जी ने कहा था, ‘मौजूदा सरकार को लगता है कि सरकार को और अधिक शक्तिशाली होना चाहिए, इसलिए सभी फैसलों का फिर से केन्द्रीयकरण किया जा रहा है. संस्थान हैं, लेकिन इनके शीर्ष पदों पर ऐसे लोगों की तैनाती की गई है, जो लापरवाह लोगों पर कार्रवाई नहीं कर सकते. सबके लिए पीएमओ से फैसला लेना पड़ता है. असल में आप संस्थाओं को खत्म नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनकी शक्तियों को छीन रहे हैं.’
वहीं कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार की तारीफ करते हुए अभिजीत बनर्जी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और सूचना का अधिकार अधिनियम को अहम फैसला बताया था.