एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। आतंकी दाऊद इब्राहिम से उनके तार जुड़े होने की बात सामने आई है। शुक्रवार (अक्टूबर 11, 2019) को प्रवर्तन निदेशालय ने दाऊद इब्राहिम और उसके क़रीबी इक़बाल मिर्ची से जुड़े 2 लोगों को गिरफ़्तार किया। मुंबई में ऐसी कई सम्पत्तियाँ चिह्नित की गई हैं, जो इक़बाल मिर्ची और उसके परिवार के स्वामित्व में है।
इनमें से 2 सम्पत्तियाँ सबलिंक रेलटर्स और मिलेनियम डेवेलपर्स को बेची गई थीं। वर्ली के पॉश इलाक़े में स्थित संपत्ति सबलिंक को 2010-11 में बेची गई थी। 2006-07 में मिलेनियम डेवेलपर्स और इक़बाल मिर्ची ने मिल कर जिस 15 मंजिला कमर्शियल इमारत का निर्माण किया था, उसे अब सीजे हाउस के नाम से जाना जाता है।
जिस मिलेनियम डेवेलपर्स के साथ दाऊद इब्राहिम के क़रीबी इक़बाल मिर्ची के कारोबारी सम्बन्ध रहे, उसके शेयरहोल्डर्स में एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल का नाम भी शामिल है। यूपीए काल में केंद्रीय मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल ने इक़बाल मिर्ची से जुड़े मिलनिअम डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड में निवेश कर रखा है। एविएशन स्कैम केस में उनसे ED ने 8 घंटे पूछताछ की थी।
इसके अलावा खंडाला में 6 एकड़ की ज़मीन पर स्थित बँगले को वाइटवाटर लिमिटेड नाम पर दर्ज है, वो इक़बाल मिर्ची के दोनों बेटों के स्वामित्व में है। इसके अलावा वर्ली में एक बँगला इक़बाल मिर्ची की बीवी और बेटों के स्वामित्व में है। वर्ली में ही स्थित ‘समंदर महल’ इक़बाल की बहन और उसके परिवार के नाम पर है। पंचगनी में भी उसका एक बँगला है। इन सबके अलावा उसके नाम पर बाइकुला रोड में एक सिनेमा हॉल, क्रॉफ़ूड मार्किट में तीन दुकानें और जुहू तारा रोड में एक होटल में भी है।
उक्त सभी सम्पत्तियों की क़ीमत 500 करोड़ रुपए से भी अधिक है। जिन सम्पत्तियों को बेचा गया और उसे लेकर जो लेनदेन हुआ, उसके लिए चेन्नई के एक बैंक में खोले गए फेक अकाउंट का इस्तेमाल किया गया। इक़बाल मेनन उर्फ़ मिर्ची एक ड्रग डीलर, तस्कर और रंगदार था और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुँचाने वाले कई अपराधों में संलग्न रहा था। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने 2004 में उसे 10 विदेशी ड्रग सरगनाओं की सूची में शामिल किया था। हालाँकि, भारत ने उसके प्रत्यर्पण की कोशिश की थी लेकिन यूके कोर्ट ने इसे नकार दिया। इक़बाल की अगस्त 2013 में मृत्यु हो गई थी।
उसने अवैध तरीके से कमाए गए रुपयों का इस्तेमाल करते हुए भारत से लेकर विदेशों तक अकूत संपत्ति जमा की। वह 1995 में भारत छोड़ कर भाग खड़ा हुआ था और तभी से दुबई से अपना सारा ग़लत कारोबार चला रहा था। उसकी कई सम्पत्तियों को जब्त भी किया गया था लेकिन उसने फेक डाक्यूमेंट्स और जालसाजी का ऐसा व्यूह रचा था कि भारतीय एजेंसियाँ लाचार हो गईं और उसकी सम्पत्तियों को छोड़ना पड़ा। अब उसकी सम्पत्तियों को लेकर कार्रवाई तेज़ हो गई है। इस सम्बन्ध में 18 लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और कई ईमेल कन्वर्सेशन पुलिस के हाथ लगे हैं।
मुंबई और बंगलौर में 11 ठिकानों पर पुलिस की रेड हुई। इस दौरान हारून युसूफ के नाम का भी खुलासा हुआ, जो इक़बाल मेनन के सारे फ़र्ज़ी लेनदेन और सम्पत्तियों की अवैध बिक्री में मदद करता था। रंजीत बिंद्रा नामक व्यक्ति ने मिर्ची और सबलिंक के बीच दलाल की भूमिका निभाई थी। इन दोनों को ही शुक्रवार को गिरफ़्तार किया गया। यूके में इक़बाल मिर्ची की कई सम्पत्तियों को चिह्नित किया गया है। लंदन में उसकी करोड़ों की सम्पत्तियाँ हैं।
एनसीपी ने प्रफुल्ल पटेल पर लगे आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि सीजे हाउस को जिस ज़मीन पर बनाया गया, उसे ग्वालियर के महाराजा से ख़रीदी गई थी। इसके मालिकों के बीच विवाद के कारण 1978 से 2005 तक ये संपत्ति कोर्ट की कार्रवाई में फँसी रही। उस पार्टी ने कहा है कि उस दौरान कुछ लोग अवैध रूप से वहाँ रहने लगे थे, जिन्हें बाद में ईमारत के निर्माण के बाद तीसरे फ्लोर पर शिफ्ट किया गया। एनसीपी ने कहा कि ख़बरों में जिन्हें घसीटा जा रहा है, सीजे हाउस उनके स्वामित्व में नहीं है।