ऐसा अमूमन देखा गया है कि ज्यादातर मीडिया हाउसों ने अक्सर मुस्लिम समुदाय के ढाल बनने की प्रवृत्ति दिखाई है। गुनहगार मुस्लिम होने पर प्राय: ये मीडिया हाउस अपने रिपोर्ट में उसका नाम छुपा लेते हैं और कई बार तो इसे हिन्दू अपराध के साथ जोड़ देते हैं।
ऐसे कई उदाहरण हैं, जब ये मीडिया हाउस मुस्लिमों द्वारा किए गए अपराध को ‘हिन्दू स्पिन’ दे देते हैं। ऐसा ही एक मामला फिर से सामने आया है। पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में मुस्लिम आलिम द्वारा काले जादू का उपयोग करके किए गए इलाज में 10 साल के बच्चे की मौत हो गई। मगर मीडिया गिरोह ने इस अपराध को हिन्दू द्वारा किए गए अपराध के रूप में फैलाया।
नकाशीपारा पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि अर्फिना बीबी नाम की एक महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि कंथलबेरिया गाँव के मुस्लिम आलिम अल्पना बीबी द्वारा किए गए इलाज के दौरान आई गंभीर चोट के कारण उनका 10 साल का बेटा जान नबी शेख की मौत हो गई और 6 साल के बेटे जहाँगीर शेख हॉस्पिटल में भर्ती है।
ऑफिसर ने बताया कि अर्फिना बीबी और हलंधर शेख 22 सितंबर को अपने बेटों को लेकर मुस्लिम आलिम के पास इलाज के लिए गए थे। जिसमें से एक की मौत हो गई है और दूसरा अस्पताल में भर्ती है। अधिकारी ने बताया कि अर्फिना बीबी जब 25 सितंबर को वहाँ पहुँची थी, तो उन्होंने देखा कि उनके बेटों का पीठ गर्म तेल, घी और मिर्च पाउडर लगाने की वजह से जला हुआ था।
मुस्लिम आलिम के गिरफ्तार होने पर मीडिया हाउस ने इसे हिन्दू स्पिन देने के लिए मुस्लिम आलिम की जगह ‘तांत्रिक’ लिखा। NDTV, India Today, The Tribune और कई अन्य मीडिया हाउसों ने PTI द्वारा प्रकाशित की गई उस खबर को आगे फैलाया। जिसमें लिखा गया था कि तांत्रिक द्वारा पारंपरिक तरीके से इलाज के दौरान पश्चिम बंगाल में 10 साल के बच्चे की मौत हो गई।
बता दें कि तांत्रिक से मतलब तंत्र विद्या अभ्यास करने से जुड़ा है। ये मुख्य रूप से हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ है। मीडिया द्वारा की गई रिपोर्ट से ये संदेश जा रहा है कि अपराध हिन्दू व्यक्ति द्वारा किया गया था। जबकि ये अपराध मुस्लिम आलिम द्वारा किया गया था। पीटीआई की रिपोर्ट में हेडलाइन के बारे में स्पष्ट हिंदू शब्द दिया गया है और मुस्लिम आलिम को ‘तांत्रिक’ कहा गया है। इसके बाद कई मीडिया हाउसों ने इस हेडलाइन में बिना कोई बदलाव किए शब्दशः इस्तेमाल किया।
इंडिया टुडे ने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए खबर की हेडलाइन में ऐसा फीचर इमेज लगाया, जो कि हिन्दू रीति रिवाज की तरह दिखता है। इसमें सिंदूर, फूल और कलावा को प्रदर्शित किया गया है। इसके माध्यम से उसने ये दिखाने की कोशिश की कि ये हिन्दू द्वारा किया गया।
गौरतलब है कि इससे पहले भी इस तरह के आलिमों को बचाने की काफी कोशिश की जा चुकी है। द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार एक महिला ने अजमेर में एक “तांत्रिक” पर दरगाह में नमाज़ अदा करने के बहाने ले जाने के बाद उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया था। उसी महीने, टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक लेख प्रकाशित किया था, जिसका शीर्षक था, “तांत्रिक को बलात्कार और जबरन वसूली के लिए 10 साल की जेल” इसमें आरोपित का नाम वारसी था।
यहाँ तक कि वर्नाक्यूलर मीडिया को भी उसी ट्रिक का इस्तेमाल करते हुए पकड़ा गया है। दैनिक जागरण ने किसी कारण से एक उत्पीड़न मामले में आरोपित को हेडलाइन में “तांत्रिक सूफी बाबा” के रूप में प्रदर्शित किया। हालाँकि, उसके कंटेंट में आरोपित का नाम आफताब बताया गया था। इसी तरह Hindi News18 ने अपने लेख में लिखा, “भूत भगाने के बहाने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में तांत्रिक गिरफ्तार।” बाद में तांत्रिक की पहचान हाफिज साजिद के रूप में हुई थी।