मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Election) में हाशिए पर पड़ी एनसीपी (NCP) को पवार फैमिली ने पिछले तीन-चार दिनों में चर्चा में लाकर जमकर पब्लिसिटी बटोरी है. पवार फैमिली (Pawar family) इस पब्लिसिटी को इमोशनल तरिके से पेश कर उसका विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में फायदा लेने की कोशिश में लग गई है. विधानसभा चुनावों में पवार फैमिली को इस इमोशनल ड्रामा का फायदा हो सकता है ऐसा राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अनुराग त्रिपाठी भी बोल रहे हैं.
महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) की चुनावी बिसात बिछ चुकी है. इस बिसात में शह और मात का खेल भी शुरू हो गया है. हाईकोर्ट (High Court) के आदेश के बाद मुंबई पुलिस (Mumbai Police) की इकोनॉमिक्स विंग ने एफआईआर (FIR) दर्ज किया. इस एफआईआर में धारा 120 (b) और 34 भी लगाई गई. जिसके बाद ईडी ने इस मामले में मनी लांड्रिंग (Money Laundering) का मामला दर्ज कर लिया. शरद पवार (Sharad Pawar) का नाम आते ही खुद शरद पवार ईडी (ED) को सहयोग करने की बात कहकर ईडी के बिना बुलाए ही ईडी विजिट करने की बात की और दिन और समय भी तय कर लिया. तय दिन और समय के अनुसार पवार ईडी जाने वाले थे कि मुंबई पुलिस (Mumbai Police) कमिश्नर के लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति खराब होने की दरख्वासत पर पवार ईडी के ऑफिस नहीं गए और इसी दरम्यान एनसीपी (NCP) पार्टी के कार्यकर्ता राज्य भर में विरोध प्रदर्शन करते रहे. यह ड्रामा अभी खत्म ही होने को था कि बीच में शरद पवार के भतीजे अजीत पवार (Ajit Pawar) की एन्ट्री हो जाती है. वे अपने विधायक पद से ही इस्तीफा दे देते हैं. इस पॉलिटिकल ड्रामे (political drama) का फायदा शरद पवार (Sharad Pawar) को मिलेगा ऐसा जानकार भी कहते हैं.
ईडी (ED) के मामला दर्ज करते ही सीनियर पवार ने विक्टिम कार्ड (victim card) खेला और खुद ही ईडी के आफिस जाने की पेशकश कर जनता की हमदर्दी बटोरी. एक तरफ तो वे पार्टी के कार्यकर्ताओं को कानून और संविधान का पालन करने की सीख देते रहे दूसरी तरफ एनसीपी (NCP) के कार्यकर्ताओं ने पूरे राज्य में जगह-जगह प्रदर्शन कर ताकत दिखाई. चाचा का विक्टिम कार्ड खत्म भी नहीं हुआ कि भतीजा अचानक इस्तीफा देकर गायब हो गया. बेटे के जरिए ये संदेश भी दे दिया कि राजनीति (politics) छोड़कर खेती (farming) करना चाहते हैं. इसके बाद दूसरे दिन एकाएक मीडिया (media) के सामने पेश हुए और आंसू बहाकर इमोशनल अत्याचार किया. जाहिर है कि पवार परिवार (Pawar family) ने इसकी बदौलत मीडिया में खूब जगह बटोरी और जनता से हमदर्दी भी. लेकिन लाख रुपए का सवाल यह है कि जिस पार्टी को छोड़कर पवार के अपने वफादर ही जा चुके हों और जो राजनीतिक अस्तित्व (Political existence) की लड़ाई लड़ रही है उसे इस पूरे ड्रामे से क्या फायदा होगा, यह तो वोटिंग के बाद रिजल्ट आने पर ही पता चलेगा.