केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार पर बड़ा कदम उठाते हुए 15 इनकम टैक्स अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया है। बता दें कि इस साल जून महीने में भी ऐसा ही एक फैसला लिया गया था। उसमें हाई रैंक वाले भारतीय राजस्व सेवा के 27 अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया गया था। इनमें केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के 12 अधिकारी भी शामिल थे।
Central Board of Direct Taxes: CBDT compulsorily retired yet another 15 very senior officers of rank of Prinicipal Commissioner of Income Tax (CIT), CIT, Junior CIT, Addl. CIT, Assistant CIT, today, due to corruption and other charges and CBI traps.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिन टैक्स अधिकारियों के खिलाफ अनियमितता के आरोप हैं, उनके खिलाफ यह कड़ी कार्रवाई की है। बता दें कि सेंट्रल सिविल सर्विसेज 1972 के नियम 56(J) के तहत 30 साल तक सेवा पूरी कर चुके या 50 साल की उम्र पर पहुँच चुके अधिकारियों की सर्विस सरकार समाप्त कर सकती है। सीबीआई ने यह कार्रवाई जनहित में सीआईटी, सीआईटी, जेसीआईटी, एडल सीट, एसीआईटी के मौलिक नियम 56 (J) के तहत की है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेन्स की बात करते प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को दिए अपने संबोधन में भी कही थी और एक प्रमुख आर्थिक दैनिक को दिए अपने इंटरव्यू में भी कहा था कि “कुछ काले भेड़ कर प्रशासन में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं और करदाताओं को परेशान किया जाता रहा है ऐसे अधिकारियों पर हम कार्रवाई कर उन्हें दंडित करेंगे।”
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सभी केंद्रीय संस्थानों से इस बारे में मासिक रिपोर्ट मँगाना शुरू कर दिया है। क्योंकि सरकार के जरिए ऐसे अधिकारियों को अनिर्वाय रिटायरमेंट दिया जा सकता है। ऐसा करने के पीछे सरकार का मकसद नॉन-फॉर्मिंग सरकारी सेवक को रिटायर कर प्रशासन में पारदर्शिता और फुर्ती लाना है।