नई दिल्ली। देश की पहली ट्रांसजेंडर जज स्वाति बिधान बरुआ नेशनल सिटीजन रजिस्टर (एनआरसी) के मसले पर किन्नरों की आवाज बनकर सामने आई हैं. उन्होंने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एनआरसी के दायरे से बाहर हुए किन्नरों का दर्द बयां किया है.
अपनी याचिका में जज स्वाति बिधान बरुआ ने कहा है कि आब्जेक्शन एप्लीकेशन में पुरुष या महिला का विकल्प उपलब्ध था. इस एप्लीकेशन में लिंग का चुनाव करने के लिए अन्य का विकल्प शामिल नहीं किया गया था. जिसके चलते, किन्नर समुदाय को पुरुष या महिला का विकल्प चुनने के लिए मजबूर होना पड़ा.
उन्होंने अपनी याचिका में बताया है कि एनआरसी में शामिल होने के लिए किन्नरों को भी पुरुष या महिला का विकल्प चुनने के लिए मजबूर किया गया. जिसके चलते, करीब 2000 किन्नर एनआरसी से बाहर हो गए. उन्होंने किन्नर समुदाय का दर्द बयान करते हुए कुछ अन्य बातें भी अपनी याचिका में शामिल की है.