नई दिल्ली। मुसलमान क्यों भय में है. क्यों डरे हुए हैं ? 15 -16 करोड़ की संख्या होने पर भी क्यों डरे हुए है ? 40-45 लाख की संख्या वाले जैन तो कभी नहीं कहे की वे डरे हुए हैं. 50 हजार की संख्या वाले पारसियों ने कभी नहीं कहा कि वे भयभीत हैं. 80-90 लाख वाले बौद्ध ने कभी नहीं कहा कि डरे हुए हैं 5000 कि संख्या वाले यहूदी भी नहीं डरते. लेकिन जो 600 सालों तक हुकूमत किया, वे क्यों भयभीत है? क्या समस्या है? उसे बताए. बहस करें. पारसी इतने कम है जो दूध में शक्कर की तरह है. लेकिन आप भी इसी तरह रह सकते है.
ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने भारत की समन्वयवादी परम्परा के नायक “दारा शिकोह” पर आयोजित सेमिनार में कही. कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में एकेडमिक्स फॉर नेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम था. इस अवसर पर केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलो के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि, दारा शिकोह इतिहासकारों के असहिष्णुता के शिकार हुए. औरंगजेब, जो क्रूरता और आतंक का प्रतीक है, उसके नाम पर रोड तो था. लेकिन दारा शिकोह के नाम पर अब रोड बना है.