अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन को पद से हटा दिया है. बोल्टन तीसरे एनएसए हैं, जिन्हें ट्रंप ने पद से हटा दिया. ट्रंप ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते नए एनएसए की घोषणा की जाएगी.
ट्रंप ने ट्वीट में कहा, ‘पिछली रात मैंने बोल्टन से कहा कि अब वाइट हाउस में उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है. मैं उनकी कई सलाह से असहमत हूं. लिहाजा मैंने जॉन से इस्तीफा मांगा और उन्होंने मुझे सुबह इसे सौंप दिया. जॉन की सेवाओं के लिए शुक्रिया.’ बोल्टन ऐसे अमेरिकी एनएसए थे, जिन्हें सेना या राष्ट्रीय सुरक्षा का कोई अनुभव नहीं था. उनसे पहले भी जो एनएसए थे, उन्हें भी इसी का हवाला देते हुए हटा दिया गया था.
I informed John Bolton last night that his services are no longer needed at the White House. I disagreed strongly with many of his suggestions, as did others in the Administration, and therefore….
….I asked John for his resignation, which was given to me this morning. I thank John very much for his service. I will be naming a new National Security Advisor next week.
कौन हैं जॉन बोल्टन
20 नवंबर 1948 को मैरीलैंड के बाल्टीमोर में जन्मे बोल्टन को 9 अप्रैल 2018 को यूएस का 27वां राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया था. वह जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में अगस्त 2005 से दिसंबर 2006 तक संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत रह चुके हैं. बोल्टन अमेरिकी अटॉर्नी, राजनीतिक टिप्पणीकार, रिपब्लिकन सलाहकार और पूर्व राजनयिक हैं.
I offered to resign last night and President Trump said, “Let’s talk about it tomorrow.”
कई देशों में चाहते हैं सत्ता परिवर्तन
70 साल के जॉन बोल्टन हॉक नाम की विदेशी नीति को मानते हैं, जो किसी देश के साथ युद्ध के पक्षधर माने जाते हैं. बोल्टन सीरिया, ईरान, वेनेजुएला, यमन, क्यूबा और नॉर्थ कोरिया में सत्ता परिवर्तन की वकालत करते हैं. ईरान की परमाणु डील को खत्म करने को लेकर भी उन्होंने कई बार खुलकर बोला है. बोल्टन कई अहम सरकारी विभागों में बड़े पद संभाल चुके हैं.
रीगन और जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश जैसे राष्ट्रपतियों के कार्यकाल के दौरान वह स्टेट डिपार्टमेंट, जस्टिस डिपार्टमेंट और यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डिवेलपमेंट जैसे विभाग का कामकाज देख चुके हैं. साल 2001 से 2005 तक बोल्टन ने अंडर सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर आर्म्स कंट्रोल एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी का पद संभाला. उनका काम सामूहिक विनाश के हथियारों को फैलने से रोकना था.
संयुक्त राष्ट्र के विरोधी
बोल्टन अपने करियर में संयुक्त राष्ट्र के मुखर विरोधी रहे. यूएन के विरोध की जड़ अंतराष्ट्रीय संस्थाओं का तिरस्कार था. वह मानते थे कि ये संस्थाएं अमेरिकी संप्रभुत्ता का उल्लंघन करती हैं. इसके अलावा इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के भी बोल्टन विरोधी थे. साल 1994 में उन्होंने कहा था, कोई संयुक्त राष्ट्र नहीं है. सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय समुदाय है, जिसे दुनिया की असली ताकत चलाती है और वह अमेरिका है.