अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ट्विटर पर काफी एक्टिव रहते हैं. कई अहम मुद्दों पर राय भी वह इस सोशल प्लेटफॉर्म के जरिए रखते हैं. लेकिन मंगलवार की शाम ट्रंप के ट्वीट ने सबको हैरान कर दिया. इन ट्वीट में जॉन बोल्टन को अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद से हटाए जाने का ऐलान था. ट्रंप ने यह कदम ऐसे वक्त पर उठाया है, जब अफगानिस्तान में तालिबान के साथ शांति वार्ता विफल हो गई है.
ट्वीट में ट्रंप ने लिखा, मैंने पिछली रात जॉन बोल्टन को बताया कि वाइट हाउस में अब उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है. मैं उनके कई मशविरों से असहमत हूं और मैंने उनका इस्तीफा मांगा था, जो उन्होंने मुझे सुबह सौंप दिया. जॉन की सेवाओं के लिए शुक्रिया. अगले हफ्ते मैं नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के नाम का ऐलान करूंगा. ट्रंप के इन ट्वीट ने जैसे हलचल ही मचाकर रख दी. बोल्टन तीसरे ऐसे एनएसए हैं, जिन्हें ट्रंप ने पद से हटाया है. उनके पास राष्ट्रीय सुरक्षा या आर्मी का कोई अनुभव नहीं था.
I informed John Bolton last night that his services are no longer needed at the White House. I disagreed strongly with many of his suggestions, as did others in the Administration, and therefore….
….I asked John for his resignation, which was given to me this morning. I thank John very much for his service. I will be naming a new National Security Advisor next week.
अफगानिस्तान के मुद्दे पर टकराव
बोल्टन और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो के बीच अफगानिस्तान के मुद्दे पर हमेशा टकराव की स्थिति रही. पोम्पियो इस समझौते के खिलाफ रहे. पोम्पियो और उनके वार्ताकार जल्मे खलीलजाद अफगानिस्तान से सेना की वापसी का विरोध कर रहे हैं. जबकि बोल्टन का कहना है कि बिना किसी आखिरी नतीजे पर पहुंचे सेना को वापस बुला लेना चाहिए. हालांकि पोम्पियो के सहयोगियों ने बोल्टन को हमेशा वार्ता की प्रक्रिया से अलग-थलग रखने की कोशिश की. बोल्टन का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में कुछ सैनिकों को छोड़कर बाकियों को वापस बुला सकते हैं. लेकिन एक धड़ा इससे सहमत नहीं है.
गौरतलब है कि अमेरिका ने अफगानी विद्रोही संगठन द्वारा काबुल में आत्मघाती हमले किए जाने के बाद शांति वार्ता रोक दी थी. हमले में एक अमेरिकी सैनिक समेत 12 लोग मारे गए थे. इसके बाद ट्रंप ने कहा कि अफगानिस्तान में 18 साल से चल रहे संघर्ष को खत्म करने की कोशिश के तहत तालिबान के साथ चल रही वार्ता हमेशा के लिए खत्म हो गई है.