आतंकियों की फंडिंग और उनकी पनाहगाह बने पाकिस्तान को अब ब्लैकलिस्ट होने को डर सता रहा है. बैंकॉक में आज फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की अहम बैठक होने जा रही है, इस बैठक में तय होगा कि पाकिस्तान का नाम ग्रे सूची में रहेगा या इसे ब्लैक लिस्ट में जोड़ा जाएगा. पाकिस्तान का 20 सदस्यीय दल आज बैंकॉक में एफएटीएफ के सामने पेश होगा. ऐसे में पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग मामले को लेकर काली सूची में डाले जाने का डर सताने लगा है.
बैठक में पाकिस्तानी की ओर से आर्थिक मामलों के संघीय मंत्री हम्माद अजहर, संघीय जांच एजेंसी, स्टेट बैंक, फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ऑफ पाकिस्तान, एंटी नारकोटिक्स फोर्स और खुफिया एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. यह बैठक 9 सितंबर से 13 सितंबर तक चलेगी जिसमें इस बात की समीक्षा की जाएगी कि पाकिस्तान ने जून 2018 में जो वादा किया था, उसे कितना पूरा किया है.
बैठक के दौरान पाकिस्तान एफएटीएफ को बताएगा कि उसने प्रतिबंधित संगठनों की गतिविधियों पर काबू पाने और उनकी संपत्ति को जब्त करने के लिए क्या कदम उठाए हैं. इस बैठक का नतीजा 13 सितंबर तक जारी रहेगा जिसमें यह तय होगा कि पाकिस्तान का नाम ग्रे सूची में रहेगा या इसे ब्लैक लिस्ट में जोड़ा जाएगा.
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एफएटीएफ के एक क्षेत्रीय संबद्ध समूह, एशिया-पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) द्वारा संवर्धित इस सूची में पाकिस्तान का नाम शामिल किए जाने के मुद्दे पर भी बातचीत होगी. इस कदम का मतलब यह होगा कि पाकिस्तान को तिमाही आधार पर एपीजी को फॉलोअप रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी. पाकिस्तान को सूची से बाहर करने के लिए एपीजी के 125 सवालों के जवाब भी तलब किए गए थे. सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत के दौरान जिरह भी होगी. सूत्रों ने कहा कि बातचीत में पाकिस्तान के रुख को एपीजी के माध्यम से पेश किया जाएगा. पाकिस्तान धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर अंकुश लगाने से जुड़े 10 महत्वपूर्ण सवालों के जवाब भी देगा.