दयानंद पांडेय
ऐसा क्यों है कि आर्थिक मंदी और जी डी पी का बुखार कश्मीर से 370 हटते ही शुरू हुआ। और कि पी चिदंबरम के सी बी आई कस्टडी में जाते ही टाईफाईड में कनवर्ट हो गया यह बुखार। न , न मैं यह बिलकुल नहीं कह रहा कि आर्थिक मंदी नहीं है और कि जी डी पी सही सलामत है। बिलकुल गड़बड़ है। यह दोनों भरी गड्ढे में गोता मार रहे हैं। पर समंदर में नहीं। लेकिन क्या यह स्थिति सिर्फ भारत में ही है ? बाक़ी दुनिया इस आर्थिक मंदी से बाहर है क्या ? कोई बताए तो सही।
तो क्या बाकी दुनिया में भी नोटबंदी और जी एस टी का मातम चल रहा है या सिर्फ भारत में ही। अच्छा चलिए यही बता दीजिए कि खाने , पीने की कौन सी चीज़ का दाम आसमान छू रहा है। दाल का , तेल का , सब्जी का , गेहूं , चावल या दूध का ? तब कौन सी नोटबंदी थी जब मनमोहन सरकार के कृषि मंत्री रहे शरद पवार अचानक बोलते थे कि अब दाल मंहगी होगी , अब चीनी मंहगी होगी , अब दूध मंहगा होगा। दो सौ रुपए किलो अरहर की दाल और सौ रुपए किलो प्याज तो बीते छ सालों में नहीं हुए। हुआ हो तो कृपया आदरणीय लोग बताएं।
बताएं यह भी कि आटा के दाम भूसा , दाल के दाम आटा , काजू के दाम दाल और सोने के भाव काजू प्रसिद्द अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह सरकार के दौरान नहीं हुए तो कब हुए ? अच्छा आटोमोबील सेक्टर ? अनाप शनाप कास्ट कटिंग कर प्रोडक्ट की ऐसी-तैसी करना और पांच साल में कीमत दोगुनी , तीनगुनी से ज़्यादा करेंगे तो मंदी नहीं आएगी तो क्या बहार आएगी ? काला धन जब बाज़ार से गायब होगा तो क्षमा कीजिए अनाप-शनाप दाम दे कर बड़ी-बड़ी मंहगी कार और बाइक खरीदने वालों की बैटरी तो डाऊन होगी ही। 35-40 हज़ार की बाइक लाख , सवा लाख में कोई कैसे खरीदे भला । खैर , खरीदिए न बिना लोन के एक कार या एक घर। दूसरे ही दिन से इनकम टैक्स की चिट्ठी आप के पीछे लग जाएगी। जांच भी होगी ।
बताइए कि कहां से लाए यह पैसा। जो पहले कभी नहीं होती थी। तो रुदालियों , यह आर्थिक मंदी भर नहीं है , काला धन पर लगा ग्रहण भी है। अब यह ग्रहण लंबा खिंच गया है। अभी और लंबा खिंचेगा। मंदी की असल मार तो रियल स्टेट में देखिए। कि फ़्लैट या ज़मीन का जो दाम पांच साल पहले था , वही आज भी है। बेचने वाले ले दही , ले दही गुहराते हुए घूम रहे हैं । लेकिन खरीददार नदारद हैं। रियल स्टेट में इनवेस्ट कर राजा बनने का सपना बुनने वाले लोग सन्नाटा बुन रहे हैं। रियल स्टेट और अटोमोबिल सेक्टर दोनों ही काला धन के दम पर बल्ले-बल्ले करने के अभ्यस्त रहे हैं। आज की तारीख में दोनों ही डूब गए हैं।
अभी चिदंबरम पर गाज गिरी है तो बुखार का आलम यह है। जिस दिन 10 जनपथ कस्टडी में आया , जो बस आने ही वाला है , तब के दिन की मंदी और जी डी पी के बुखार में तो थर्मामीटर ही टूट जाएगा। अभी तो एन जी ओ की फसल भी भरे भादो में सूख रही है । मुगले आज़म के लिए शकील बदायूनी का लिखा याद आ रहा है , ये दिल की लगी कम क्या होगी ये ईश्क भला कम क्या होगा / जब रात है ऐसी मतवाली फिर सुबह का आलम क्या होगा ! आर्थिक मंदी और जी डी पी का नगाड़ा जाहिर है तब और बुलंद होगा ! तब तक आप पारले जी का बिस्किट खा कर अपना लो शुगर मेनटेन रखिए।