नई दिल्ली। देशभर बीजेपी (BJP) का दबदबा बढ़ने के साथ ही क्षेत्रीय पार्टियों के सामने अस्तित्व का खतरा आ गया है. लगातार दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी (BJP) ने अकेले दम पर बहुमत का आंकड़ा छूने के चलते देश की राजनीति में गठबंधन का फॉर्मूले कमजोर होता जा रहा है. इसका सीधा असर कई राजनीतिक दलों पर पड़ रहा है. बीजेपी (BJP) की आंधी में कई राष्ट्रीय के साथ क्षेत्रीय पार्टियों का खाता तक नहीं खुल पा रहा है. तीन राष्ट्रीय पार्टियों के बाद अब 6 राज्यों में 6 राज्य स्तरीय पार्टियों की मान्यता खतरे में है.
इनमें उत्तर प्रदेश में अजीत सिंह की राष्ट्रीय लोकदल (RLD) और अम्बुमणी रामदौस की पट्टली मक्कल काची (पीएमके) भी शामिल है. छह पार्टियों ने राज्य स्तरीय पार्टी होने के लिये आवश्यक 5 शर्तों में से किसी भी शर्त को पूरा नहीं किया है.
आरएलडी, आरएसपी, टीआरएस(आन्ध्र प्रदेश में), मिजोरम की मिजोरम पीपुल्स कांफ्रेंस, तमिलनाडु में पीएमके और नार्थ ईस्ट की पीडीए पर खतरा है. चुनाव आयोग सभी 6 पार्टियों को सुनवाई का आखिरी मौका देगी. इससे पहले चुनाव आयोग के नोटिस के जवाब में सभी पार्टियों ने आयोग से गुहार लगाई है कि उनकी मान्यता खत्म न की जाए.
यहां आपको बता दें कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में RLD को एक भी सीट नहीं मिली थी, जिसके बाद उनसे दिल्ली का सरकारी बंगला खाली करने को कहा गया था. इस बात पर अजित सिंह ने बखेड़ा खड़ा कर दिया था. 12 तुगलक रोड के बंगले में बने रहने के लिए अजित सिंह ने अपने समर्थकों का सहारा लेकर नोएडा-गाजियाबाद में जाम लगा दिया था. दरअसल, यह बंगला पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को अलॉट हुआ था. उनके निधन के बाद से अजित सिंह लगातार लोकसभा या राज्यसभा में बने रहे, जिसके चलते यह बंगला उन्हीं को मिलता रहा.
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी दोनों हार गए थे, जिसके बाद उन्हें यह बंगला खाली करने को कहा गया था, लेकिन वे इस बंगला को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे. लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी उनकी पार्टी की बुरी हार हुई है. आलम यह है कि अब उनकी पार्टी RLD की क्षेत्रिय दल के रूप में मान्यता तक जा रही है.