नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मंगलवार को एक न्यूज चैनेल से खास बातचीत की. इस दौरान ओम बिड़ला ने कहा कि संसद को सुचारू रूप से चलाने में सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष का भी सहयोग मिला. लिहाजा इस बार सत्र में इतिहास बना. इस सत्र में 35 बिल पास हुए हैं. इन विधेयको के माध्यम से जनता को कानून सम्मत अधिकार मिलेंगे. इसी सत्र में गणतंत्र के अंदर पूरा देश एक हो ऐसे आर्टिकल 370 को निष्प्रभावी करने का संकल्प भी पास हुआ. विधायी कार्य सरकार का काम है और हमारा काम सदन को सुचारू रूप से सदन चलाना है.
ओम बिड़ला ने कहा कि लोकसभा देर तक चलाने पर सांसद भी शिकायत करने आये. इस बार लगातार 37 दिन तक संसद की कार्यवाही चली. यह करीब 280 घंटे चली. ये अधिकतम प्रोडक्टिविटी वाला सत्र रहा. सांसदों को अधिकतम बार बोलने का अवसर दिया गया है. सांसदो के भीतर विकास को लेकर प्रतिस्पर्धा थी, नये सदस्य देर रात तक भी बैठे और उनको बोलने का मौका दिया गया.
मोदी ने नई कार्यसंस्कृति पैदा की
देश के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने निश्चित रूप में कह सकता हूं कि उन्होंने एक कार्यसंस्कृति पैदा की, ऐसा लोकसभा में भी होना चाहिए. वो सदन के नेता हैं, हमने इसीलिए विपक्ष को भरोसे में लिया और तय किया कि क्यों न हम अलग कार्यसंस्कृति पैदा करें और क्यों न सदन देर तक चलाएं. लिहाजा संसद सत्र ज्यादा दिन भी चला और ज्यादा समय भी चला. 35 विधेयक पेश हुए और 35 ही पारित हो गये.
संसद में संसद सदस्य अधिकतर वक्त रूके, इसीलिए जनता ने उनको भेजा है कि वो यहां जनता की समस्याएं उठाएं. जिन सांसदों की सौ फीसदी उपस्थिति रही, उनको सर्टिफिकेट देकर सम्मानित करूंगा.
वहीं, ट्रिपल तलाक बिल और आर्टिकल 370 पर उन्होंने कहा कि दोनों को लेकर सदन में अच्छी चर्चा हुई. मैं सोचता हूं कि इस पर विधेयक कानून बना है, देश की जनता को इसका फायदा होगा. लोकसभा स्पीकर ने कहा कि देश में संवैधानिक रूप से सभी धर्मों को अपना-अपना अधिकार दिया गया है. लिहाजा मुस्लिम महिलाओं को भी संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए. संसद में बिल पास होकर कानून बना उससे मुस्लिम महिलाओं को अधिकार मिला है.
आर्टिकल 370 पर उन्होंने कहा कि वर्षों से देश के लोग इस पर बात कर रहे थे कि एक देश में अलग-अलग कानून नही चलना चाहिए. डिबेट हुई चर्चा हुई इसमें भी ये बात ध्यान में आई कि संसद में पारित कानून वहां लागू नही होते थे. मुझे लगता है कि बहुमत के आधार पर सरकार ने ये कानून पारित कराया. इस कानून के माध्यम से देश की जनता की भावना की अभिव्यक्ति हो रही है.
पार्टी की विचारधारा को देशहित के ऊपर ना रखे विपक्ष
आर्टिकल 370 पर कांग्रेस के रुख पर ओम बिड़ला ने कहा कि हर राजनीतिक पार्टी की अपनी विचारधारा और संकल्प होता है. लिहाजा उन्हें अपने दल की विचारधारा व्यक्त करने का अधिकार है. अभिव्यक्ति का अधिकार तो है लेकिन इसमें देश का हित सबसे पहले होना चाहिए. इससे देश का नुकसान न हो ये ध्यान सभी दलों को रखना चाहिए.
कश्मीर की जनता भरोसा रखे
उन्होंने कहा कि देश की जनता के साथ ही जम्मू-कश्मीर की जनता को भरोसा होना चाहिए कि उनके साथ पूरा न्याय होगा. कश्मीर भी भारत का अभिन्न अंग है. मैं कह सकता हूं कि सबसे अच्छा सुंदर पर्यटन केंद्र भी है, मुकट भी है भारत का. अब एक कानून लागू होने के बाद वहां के लोगों को भी कानूनी अधिकार मिलेगा और उनको इसका लाभ भी होगा. कश्मीर के लोग भरोसा रखें, संसद उनके साथ खड़ी है. संवैधानिक मर्यादा के साथ उनके साथ न्याय होगा.
सांसदों को अनुशासन में रखने पर ओम बिड़ला ने कहा कि मैंने कोशिश की विजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक बुलाई और बात रखी कि संसद को भी उच्चतम मापंदड पर काम करना चाहिए और सभी सांसदों ने इसका सपोर्ट किया. स्टैंडिंग कमेटी नही थी लिहाजा हमने कोशिश की कि हर विधेयक पर पर्याप्त चर्चा हो और सभी सांसद को बोलने का मौका मिला. जब सभी सांसद संतुष्ट हो गये तभी बिल पास कराया. एक सांसद की पार्टी हो या दो सांसदों की पार्टी सदन के भीतर सभी को बराबर मौका दिया. संसद सभी के सहयोग से चलती है 37 दिन की कार्यवाही में मैने कभी भी किसी भी मार्शल का प्रयोग नही हुआ. उन्होंने कहा कि देश की जनता अब संसद के भीतर सांसदों के हल्ले, तख्तियां लेकर वेल में आना इन सबको पंसंद नही करती.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान पर ओम बिड़ला ने कहा कि वो उनकी संसद थी, वो कुछ भी बोल सकते हैं. लेकिन भारत किसी भी धमकी से डरने वाला नहीं है. देश की सीमाओं पर हमारी सेना मजबूती से डटी है, मजबूती से रक्षा कर रही है और हमारी सैन्य शक्ति मजबूत है. हम किसी पाकिस्तान के डर और धमकी मे आने वाला नही हैं. हम सीमाओं पर भी मजबूत है और आंतरिक रूप से भी मजबूत है. मुझे नहीं लगता वो अपनी संसद में बोल सकते होंगे लेकिन भारत की सेना बेहद मजबूत है. आधुनिक हथियारों से मजबूत है. ये पिछली घटनाओं से आप देख चुके हैं कि देश का सवाल आता है तो भारत के 130 करोड़ लोग सरकार के साथ हमेशा खड़े रहते हैं.
2022 तक नया संसद भवन
देश के नये संसद भवन पर उन्होंने कहा कि आजादी के 75 वर्ष हो रहे हैं. नये भारत के निर्माण की ओर भारत बढ़ रहा है. सदन के माध्यम से हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है कि अब एक आधुनिक और तकनीकी रूप से सुदृढ़ संसद भवन होना चाहिए. चाहे इसी भवन में हो या नया भवन बने, इस सबके लिये सुझाव, सांसदों, अधिकारी-कर्मचारियों से लिये जा रहे हैं. इस पर निर्माण कमेटी जो निर्णय करेगी और मुझे लगता है कि निश्चित रूप से साल 2022 में हमारे नये भारत के निर्माण में नई संसद भी नये रूप में जनता को समर्पित होगी. ये लोकतंत्र का मंदिर भव्य और तकनीकी युक्त होगा. आज आजादी की पूर्व संध्या पर संसद भवन नई रोशनी से जगमगाने लगा है. आज भी दुनिया में सबसे भव्य इमारत भारतीय संसद है. हमने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि विश्व की सबसे आधुनिक संसद भवन हमारा होना चाहिए.
पेपरलेस संसद जल्द ही
उन्होंने कहा कि दुनिया में डिजिटल युग शुरू हुआ है. संसद में बहुत ज्यादा कागज का प्रयोग होता है. लिहाजा सांसदों से आग्रह किया है कि कैसे संसद को पूर्ण रूप से डि़जिटल बनाएं, जिससे कागज का कम प्रयोग हो. इस पर माननीय सदस्यों के सुझाव भी लिये हैं. पेपरलेस संसद बनाने के लिए अधिकतर सासंदों ने अपनी सहमति दी है. इसका असर आपको आगे आने वाले सत्र में दिखेगा. संसद में 22 भाषाओं के अुनुवाद की व्यवस्था है. सबको अपनी अपनी भाषा में बोलने का अधिकार है. निश्चित रूप से हिंदी हमारी मातृभाषा है इसलिए इसके लिए कोशिश की है.